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________________ 8 5 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 959595 8 फफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ 卐 ग्यारहवाँ शतक : दशम उद्देशक : लोक (भेद-प्रभेद) लोक- अलोक का संस्थान (आकार) 141 144 अधोलोक में जीव- अजीवादि अधोलोक आदि के एक प्रदेश में जीव आदि 146 अधो-तिर्यग् ऊर्ध्व क्षेत्रलोक और अलोक में द्रव्य-क्षेत्र - काल-भाव की अपेक्षा से जीव- अजीव द्रव्य लोक की विशालता अलोक की विशालता का वर्णन आकाशप्रदेश पर परस्पर सम्बद्ध जीवों का निराबाध अवस्थान एक आकाशप्रदेश में जघन्य - उत्कृष्ट जीवप्रदेशों एवं सर्व जीवों का अल्पबहुत्व ग्यारहवाँ शतक : ग्यारहवाँ उद्देशक : काल (सम्बन्धित चर्चा ) काल और उसके चार प्रकार 137-160 प्रमाणकाल की व्याख्या यथायुर्निर्वृत्तिकाल की व्याख्या मरणकाल की व्याख्या अद्धाकाल की व्याख्या पल्योपम सागरोपम का प्रयोजन नैरयिकादि समस्त संसारी जीवों की स्थिति की प्ररूपणा पल्योपम-सागरोपम करने हेतु महाबल राजा का दृष्टान्त क्षयोपचय को सिद्ध रानी का स्वप्ननिवेदन और स्वप्न फल कथन आग्रह राजा द्वारा स्वप्नफल कथन 149 151 154 156 159 161-208 171 171 प्रभावती का वासगृह - शय्या - सिंहस्वप्न-दर्शन 172 रानी प्रभावती का रात्रि जागरण उपस्थानशाला की सफाई और सिंहासन की स्थापना बल राजा द्वारा स्वप्नपाठकों को आमंत्रण स्वप्नपाठकों से स्वप्न का समाधान राजा द्वारा स्वप्नपाठकों का सत्कार एवं रानी को स्वप्नफल बताना स्वप्नफल सुनकर रानी प्रभावती द्वारा गर्भ क़ी रक्षा दासियों द्वारा पुत्र-जन्म की बधाई देने पर उन्हें प्रीतिदान 175 176 पुत्र - जन्मोत्सव एवं नामकरण महाबल कुमार का पंच धात्रियों द्वारा पालन तथा तरुणावस्था 163 163 नववधुओं को प्रीतिदान 168 राजकुमार महाबल के लिए श्रेष्ठ आठ प्रासादों का निर्माण 169 पर्युपासना 169 170 धर्मघोष अनगार का पदार्पण, जनता द्वारा महाबलकुमार द्वारा दीक्षाग्रहण महाबल अनगार का अध्ययन, तपस्या, समाधिमरण एवं स्वर्गलोक प्राप्ति सागरोपम की स्थिति का क्षयोपचय तथा सुदर्शन के पूर्वभव का रहस्योद्घाटन ग्यारहवाँ शतक : बारहवाँ उद्देशक : आलभिका श्रमणोपासक ऋषिभद्र पुत्र की धर्म चर्चा, उसके प्रति अश्रद्धा 178 (15) 179 बलकुमार का आठ कन्याओं के साथ विवाह 196 बल राजा एवं महाबल कुमार की ओर से 180 183 186 188 189 191 194 196 197 202 203 205 206 209-222 209 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 9595 फ्र 8 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 955959559595 96 95 95 95 95 95 958
SR No.002493
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2013
Total Pages618
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size22 MB
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