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________________ * गीता दर्शन भाग-7 * में गया था, वहां सैनिकों को प्रसन्न करने के लिए, कुछ हंसी-मजाक - पहली तो बात, जिसका मूल ऊपर की ओर...। करने के लिए एक अभिनेता आया हुआ था। जब वह अभिनेता विदा । मूल सदा नीचे की ओर होता है। इस संसार में तो मूल सदा नीचे होने लगा तो मैकार्थर ने कहा कि आओ, मेरे साथ खड़े हो जाओ की ओर होता है। जरूर कहीं हम भूल कर रहे हैं। एक चित्र निकलवाने के लिए। पूरब सदा ही मां को, पिता को आदर देता रहा है। पश्चिम में वैसा __ अभिनेता बहुत ही प्रसन्न हुआ। और उसने मैकार्थर से कहा कि | | आदर नहीं है; क्योंकि मूल को हम ऊपर मानते हैं। बेटा कितना ही मेरा अहोभाग्य, कि आप जैसे महान जनरल, सेनापति, | बड़ा हो जाए, वह बुद्ध हो जाए, तो भी वह मां के चरण छुएगा। ख्यातिलब्ध, इतिहास में जिसका नाम रहेगा, ऐसे व्यक्ति के साथ क्योंकि मूल से ऊपर जाने का कोई उपाय नहीं है। पश्चिम में वैसा मझे चित्र उतरवाने का मौका मिला। मैकार्थर ने कहा कि छोडो: मेरे | आदरभाव नहीं है। क्योंकि पश्चिम में मूल को ऊपर मानने की वृत्ति छोटे बच्चे ने पत्र लिखा है कि जब तुम यहां आओ, तो तुम्हारे साथ नहीं है। देखने में भी यही आता है कि मूल तो नीचे होता है। वृक्ष का एक चित्र उतरवाऊं। क्योंकि मेरा छोटा बच्चा तुम्हें एक बहुत मूल तो जमीन में छिपा होता है, शाखाएं ऊपर होती हैं। ख्यातिलब्ध अभिनेता, एक जगत-प्रसिद्ध अभिनेता मानता है। मैं | इसलिए कृष्ण कहते हैं, यह संसार उलटा वृक्ष है। मूल ऊपर है। तो कुछ भी नहीं हूं उसके लिए। और ध्यान रहे. अगर माता-पिता ऊपर नहीं हैं. तो परमात्मा भी जिन्हें हम जगत में सफल कहते हैं, उनकी अवस्था करीब-करीब ऊपर नहीं हो सकता। क्योंकि वह जगत का मूल है। ऐसी है। उनकी सफलता मान्यता पर निर्भर है। उन्हें आप सफल गुरजिएफ अपने आश्रम में एक पंक्ति लिख छोड़ा था। और मानते हैं, तो वे सफल हैं। आप उन्हें असफल मानते हैं, तो वे | पंक्ति यह थी कि जो व्यक्ति अपने मां और पिता को आदर देने में असफल हैं। और खद उनसे पछे, तो आपसे भी ज्यादा अनिर्णय की समर्थ हो जाता है. उसे ही मैं मनष्य मानता है। उनकी अवस्था है। | इससे कोई सीधा संबंध नहीं दिखाई पड़ता। अनेक लोग एक आदमी बहुत धन इकट्ठा कर लेता है, तो सफल है। और गुरजिएफ से पूछते भी थे कि ऐसी छोटी-सी बात यहां किसलिए जिसने धन इकट्ठा किया है अपने को बेच-बेचकर, उससे पूछे, तो | | लिख रखी है! गुरजिएफ कहता, बात छोटी नहीं है। उसे जीवन व्यर्थ खो गय और अगर हम मनोविज्ञान की आधुनिक खोजों को समझें, यह संसार का वृक्ष बिलकुल उलटा है। यहां जो सफल दिखाई | | फ्रायड और उसके अनुयायियों को, तो वे सभी कहते हैं कि हर बेटा पड़ते हैं, वे अपनी विफलता को छिपाए बैठे हैं। यहां जो धनी अपने मां-बाप को घृणा करता है। दिखाई पड़ते हैं, वे बिलकुल निर्धन हैं। यहां जो बाहर से मुस्कुराते मूल को लोग घृणा करते हैं। मूल से लोग बचना चाहते हैं, हुए और आनंदित मालूम पड़ते हैं, भीतर दुख से भरे हैं। | छिपाना चाहते हैं। शायद कामवासना के प्रति हमारी निंदा का कारण यहां सभी कुछ उलटा है। लेकिन थोड़ी गहरी आंख हो, तो यह | यही हो कि वह मूल है। उसे हम छिपाना चाहते हैं। आप कभी सोचते दिखाई पड़ना शुरू हो जाता है। और जिस दिन आपको यह दिखाई | | भी नहीं कि आप कैसे पैदा हुए हैं! कहां से पैदा हुए हैं! कहां आपका पड़ना शुरू होता है कि संसार का वृक्ष उलटा है, उस दिन आपके | मूल है! आप कभी सोचते भी नहीं कि आपका जन्म, आपका यह जीवन में क्रांति का क्षण आ गया। अब आप बदल सकते हैं। | जीवन दो व्यक्तियों की गहरी वासना से शुरू होता है। अब हम इस सत्र में प्रवेश करें। मूल को हम छिपाते हैं। मूल छोटा मालूम पड़ता है, ओछा गुणत्रय-विभाग-योग को समझाने के बाद श्रीकृष्ण बोले, हे मालूम पड़ता है; हम बड़े हैं। लेकिन ध्यान रहे, जहां से आप आए अर्जुन, जिसका मूल ऊपर की ओर तथा शाखाएं नीचे की ओर हैं, | | हैं, उससे बड़े होने का कोई उपाय नहीं है। और अगर आप बड़े हैं, ऐसे संसाररूप पीपल के वृक्ष को अविनाशी कहते हैं; तथा जिसके | तो एक ही बात सिद्ध होती है कि मूल बड़ा है। . वेद पत्ते कहे गए हैं, उस संसाररूप वृक्ष को जो पुरुष मूल सहित अगर बुद्ध पैदा हो सकते हैं कामवासना के स्रोत से, तो तत्व से जानता है, वह वेद के तात्पर्य को जानने वाला है। कामवासना में बुद्ध को पैदा करने की क्षमता है, यही सिद्ध होता यह बड़ा क्रांतिकारी वचन है। लेकिन इस गूढ ढंग से कहा गया | | है। इसके अतिरिक्त कुछ और सिद्ध होने का उपाय नहीं है। और है कि बहुत मुश्किल है उसके पूरे अर्थ में प्रवेश कर जाना। | अगर आप बुद्ध नहीं हो पा रहे हैं, तो कसूर कामवासना का नहीं
SR No.002410
Book TitleGita Darshan Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages450
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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