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________________ तृष्णा का स्वभाव अतृप्ति है हो, उससे भिन्न का तुम स्मरण रखो। लेकिन अगर गहरी बात पूछो, तो जिसे बुद्ध ने श्रेय कहा है, वही प्रेय है। वही वस्तुतः प्रेय है। और जिसे तुम प्रेय समझ रहे हो, वह प्रेय नहीं है। उसी प्रेय के कारण तो भटक रहे हो, कष्ट पा रहे हो। और आश्चर्य तो यही है कि आदमी अनुभव के बाद अनुभव, अनुभव के बाद अनुभव, फिर भी कुछ सीखता नहीं। ___ महाभारत की प्रसिद्ध कथा है, तुमने सुनी होगी। पांडव वनवास के दिनों में एक जंगल में भटक गए हैं। प्यासे हैं और एक भाई पानी लेने, खोजने गया। एक झील पर पहुंच गया। स्फटिक मणि जैसा स्वच्छ उस झील का जल है। वह तो बड़ा प्रसन्न हुआ। सब भाई प्रतीक्षा करते होंगे, वह जल्दी से पानी भरने की तैयारी करने लगा। लेकिन जैसे ही पानी भरने को झुका झील में, एक आवाज आयी एक वृक्ष के पास से कि रुक, पहले मेरी बात का जवाब दे दे। अगर बिना जवाब दिए पानी भरने की कोशिश की तो जीवित न लौट सकेगा। और अगर जवाब न दे सका तो भी जीवित न लौट सकेगा। कोई दिखायी नहीं पड़ता है। कथा कहती है, एक यक्ष, एक आत्मा उस वृक्ष पर वास करती है और वह आत्मा तभी मुक्त होगी जब उसके प्रश्नों का उसे उत्तर मिल जाए। इसलिए उस झील पर जो भी आता है, वह आत्मा इस तरह के प्रश्न पूछती है, जिनके जान लेने से वह मुक्त हो जाएगी। __हेम भी सब ऐसे ही आत्माएं हैं, जो किन्हीं प्रश्नों की तलाश में भटक रहे हैं। हम सब भी यक्ष हैं। हमारे भी प्रश्नों का उत्तर कहां मिला है! प्रश्नों का उत्तर मिल जाए तो हम मुक्त हो जाएं। इसलिए कथा बड़ी प्यारी है, मीठी है। यक्ष कैद है वृक्ष पर। उसकी आत्मा बंदी है। वह किसी प्रश्न की तलाश कर रहा है। उसे उत्तर मिल जाए तो वह मुक्त हो जाए। यही अभिशाप है उसका कि जब तक उत्तर न पा लेगा, तब तक मुक्त न हो सकेगा। तो जो भी झील पर आता है, . उसी से पूछता है कि मेरा उत्तर पहले दे दो। उसने जो प्रश्न पूछे, वे बड़े कठिन मालूम पड़े। उत्तर नहीं दिए जा सके। तो एक पांडव बेहोश होकर गिर पड़ा। फिर दूसरा खोजता हुआ आया-अपने भाई को खोजते और पानी को खोजते। उसके साथ भी यही हुआ। चार भाई इस तरह-लाशें झील के किनारे गिर गयीं। और तब युधिष्ठिर का आगमन हुआ। ___ उसके प्रश्न बड़े प्यारे हैं, बड़े महत्वपूर्ण हैं। उनमें एक प्रश्न जो आज के काम का है, वह प्रश्न यह है कि मनुष्य के संबंध में सबसे अजूबी बात कौन सी है ? मनुष्य के संबंध में सबसे ज्यादा अविश्वसनीय बात कौन सी है? तो युधिष्ठिर ने कहा, यही कि वह अनुभव से सीखता नहीं। यह सबसे ज्यादा आश्चर्यजनक बात है। और यक्ष ने उत्तर स्वीकार कर लिया। उसके बंधन खुल गए। ठीक उत्तर मिल जाए तो बंधन खुलते हैं। सबसे अजूबी बात यही है कि आदमी सीखता नहीं। तुम अपने संबंध में सोचो, 229
SR No.002385
Book TitleDhammapada 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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