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________________ ताओ उपनिषद भाग २ 'ताओं सब कुछ करता है, फिर भी उसे ऐसा करने का दंभ नहीं; सभी वस्तुओं का सर्वेसर्वा है, फिर भी उन्हें नियंत्रित नहीं करता।' यह सूत्र बहुत बारीक है। 'सभी वस्तुओं का सर्वेसर्वा है, फिर भी उन्हें नियंत्रित नहीं करता।' लोग पूछते रहे हैं सदियों से कि यदि परमात्मा है और यदि उसके किए ही सब कुछ होता है, तो एक चोर को चोरी क्यों करने देता है? और एक हत्यारे को हत्या क्यों करने देता है? और एक बेईमान को बेईमानी क्यों करने देता है? और जब किसी निर्बल को कोई सताता है, तो वह खड़ा देखता क्यों रहता है? यह सवाल संगत है और पूछने जैसा है। और विचारशील मनुष्यों ने पूछा है बार-बार। सच तो यह है कि विचारशील मनुष्यों को परमात्मा के होने पर जो सबसे बड़ा संदेह है, वह यही सवाल है। बड रसेल पूछता है कि एक बच्चा पैदा होते से ही अंधा पैदा हो रहा है, लूला पैदा हो रहा है, लंगड़ा पैदा हो रहा है, कैंसर-सहित पैदा हो रहा है। अगर तुम्हारा परमात्मा है, तो यह कैसे हो रहा है? और तुम कहते हो सभी वही करता है, सर्वेसर्वा है। बढ़ेंड रसेल कहता है कि यह सब देख कर शक होता है कि कोई परमात्मा नहीं है। जो हो रहा है, यह देख कर शक होता है कि कोई परमात्मा नहीं है। जीवन जैसा नर्क बना हुआ है, यह देख कर शक होता है कि यहां कोई परमात्मा नहीं हो सकता। और अगर कोई परमात्मा है, तो उसको परमात्मा कहना व्यर्थ है; उसको शैतान कहना बेहतर होगा, क्योंकि जो हो रहा है उसे देख कर। __ यह संगत प्रश्न है कि अगर परमात्मा सभी कुछ कर रहा है, तो इस जगत में बुराई क्यों है? ईविल क्यों है? एक मुसलमान मित्र मुझे मिलने आए थे। उन्होंने कहा कि मुझे सबसे बड़ा सवाल यही है कि संसार में बुराई क्यों है? बुराई होनी ही नहीं चाहिए, अगर परमात्मा है। तो वे ठीक कह रहे हैं। क्योंकि इन दोनों के बीच कोई तालमेल नहीं दिखाई पड़ता। इतनी बुराई का इस . परमात्मा से कैसे संबंध जोड़ें? मैंने उनसे कहा, एक क्षण को दूसरी तस्वीर पैदा करिए। आप कब मानेंगे कि परमात्मा है? उन्होंने कहा, जब संसार में कोई बुराई न हो। मैंने उनसे कहा कि सारी बुराई संसार से हटा देते हैं; कैसा संसार होगा, आप थोड़ा सोच कर मुझे बताएं। क्योंकि जिस क्षण बुराई हटेगी, उसी क्षण भलाई भी हट जाएगी। भलाई अकेली नहीं जी सकती। भलाई जीती ही इसलिए है कि बुराई है। जिस दिन अंधेरा बिलकुल हट जाएगा, तो प्रकाश, नहीं जी सकता। प्रकाश जीता ही इसलिए है कि अंधेरा है। ऐसा समझें कि जिस दिन हम सारी ठंडक हटा लें जगत से, तो क्या गरमी जी सकेगी? गरमी और ठंडक एक ही चीज की मात्राएं हैं। ऐसा समझ लें कि हम जीवन हटा लें जगत से, मृत्यु हटा लें जगत से, तो क्या दूसरा बच सकेगा? मृत्यु को हटाएंगे, तो जीवन खो जाएगा। जीवन को हटाएंगे, तो मृत्यु खो जाएगी। क्योंकि अगर जगत में जीवन न हो, तो मृत्यु कैसे होगी? या मृत्यु न हो जगत में, तो जीवन कैसे होगा? जगत जीता है विपरीत, दि पोलर अपोजिट, वह जो ध्रुवीय विपरीत है, उसके सहारे जीता है। जगत के, अस्तित्व के होने का जो ढंग है, वह विपरीत के बीच संगीत है। अगर विपरीत को हटा लें, तो दोनों समाप्त हो जाते हैं। पुरुष को हटा लें जगत से, स्त्री खो जाएगी। स्त्री को हटा लें, पुरुष खो जाएगा। बुढ़ापे को हटा लें, जवानी खो जाएगी। हालांकि जवान का मन होता है कि कुछ ऐसा हो जाए कि बुढ़ापा न हो। उसे पता नहीं कि जवानी और बुढ़ापा इतने संयुक्त हैं कि एक हटा तो दूसरा खो जाएगा। हमारा मन होता है कि जगत में कोई चीज असुंदर न रह जाए। पर हमें पता नहीं कि असुंदर खोया कि सुंदर खो जाता है। ऐसे जगत की कल्पना करें, जहां असुंदर बिलकुल न हो, तो ध्यान रखना, उससे ज्यादा असुंदर जगत नहीं होगा। क्योंकि वहां सुंदर कुछ नहीं होगा। दोनों खो जाएंगे। 66
SR No.002372
Book TitleTao Upnishad Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1995
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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