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________________ अवंति सुकुमाल (त्याग) | १. जब अवंति सुकुमाल ३२ पत्नियों के साथ वैभव विलास में मग्न है; २. तब आर्यसुहस्तिजी ५०० मुनियों के साथ अश्वशाला में रात्रि के समय ‘नलिनीगुल्म विमान' नामक अध्ययन का परावर्तन करा रहे थे। वह अवंति ने सुना, उसे जातिस्मरण का ज्ञान हुआ। |.३. उन्होने दीक्षा ली, उसी रात्रि को अनशन करके स्मशान मे ध्यानस्थ रहे। ४. वहाँ पूर्वजन्म की पत्नी लोमड़ी उनका पाँव से पेट तक का भाग खा गई। । ५. समाधि मृत्यु द्वारा वे नलिनीगुल्म विमान में गये। ६. उनकी माता एवं पत्नियों ने अत्यंत रुदन-विलाप किया। ७. अग्निसंस्कार करके गुरु महाराज के पास पधारी और वैराग्योपदेश सुनकर दीक्षा ग्रहण की। ८. एक सगर्भा पत्नी घर पर रही, उसे एक पुत्र हुआ। . | ९. उसने अवंती पिता के स्थान पर उज्जैन में अवंति पार्श्वनाथ का मंदिर बनवाया। .. धन्य अवंती सुकुमाल ।
SR No.002365
Book TitleJinshasan Ke Chamakte Hire
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVarjivandas Vadilal Shah, Mahendra H Jani
PublisherVarjivandas Vadilal Shah
Publication Year1997
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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