SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 28
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अनत्थ. एक नवकार. नमोऽर्हत्. स्तुति श्री शक्रप्रमुखा यक्षा, जिनशासनसंश्रिताः। देवा देव्यस्तदन्येपि, संघं रक्षन्त्वपायतः॥17॥ श्री सिद्धायिका शासनदेवता आराधनार्थं करेमि काउसग्गं अन्नत्थ. चार लोगस्स ऊपर एक नवकार का काउसग्ग कर पारकर नमोऽर्हत् कह कर स्तुति बोलें श्रीमद् विमानमारूढा यक्षमातंग संगता। सा मां सिद्धायिका पातु, चक्रचापेषु धारिणी॥18॥ लोगस्स बोले। तीन नवकार हाथ जोड़कर बोले, फिर बैठकर बायां घुटना उँचा कर णमुत्थुणं. जावंति. खमा. जावंत. नमोऽर्हत् बोलकर यह स्तोत्र पढ़े ओम् परमेष्ठि नमस्कार, सारं नवपदात्मकम्। आत्मरक्षाकरं वज्रपंजराभं स्मराम्यहम्॥1॥ ओम् नमो अरिहंताणं, शिरस्कं शिरसि स्थितम्। ओम् नमो सिद्धाणं, मुखे मुखपटं वरम्॥2॥ ओम् नमो आयरियाणं, अंगरक्षातिशायिनी। ओम् नमो उवज्झायाणं, आयुधं हस्तयोर्दृढम्॥3॥ नमो लोएसव्वसाहूणं, मोचके पादयोः शुभे। एसो पंचनमुक्कारो, शिला वज्रमयी तले॥4॥ सव्वपावप्पणासणो, वप्रो वज्रमयो बहिः। मंगलाणं च सव्वेसिं, खादिरांगारखातिका॥5॥ स्वाहान्तं च पदं ज्ञेयं, पढमं हवइ मंगल। वप्रोपरि वज्रमयं, पिधानं देहरक्षणे॥6॥ महाप्रभावा रक्षेयं, क्षुद्रोपद्रवनाशिनी। परमेष्ठिपदोद्भूता, कथिता पूर्वसूरिभिः।।7॥ यश्चैवं कुरुते रक्षा, परमेष्ठिपदैः सदा। तस्य न स्याभयं व्याधि-राधिश्चापि कदाचन॥8॥ । . जयवीयराय बोलें। फिर गुरू महाराज चारित्र के उपकरणों को वर्धमान विद्या से अभिमंत्रित करें। उपकरण अभिमंत्रण विधि रजोहरण- ओम् आँ ह्रीं क्रौँ अर्हते नमः वस्त्र- ओम् आँ ह्रीं क्रौं ते नमः योग विधि / 21
SR No.002356
Book TitlePravrajya Yog Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhsagar
PublisherRatanmala Prakashan
Publication Year2006
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy