SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 77
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मानव यक्ष सेवे प्रभु पाय पद्मावती देवी सुखदाय। इन्द्र चन्द्र पारस गुण गावै कल्पवृक्ष चिंतामणि पावै।। नित समरो चिंतामणि स्वामि आशा पुरे अन्तर्यामि। धन धन पारस पुरसादानी तुम सम जग में को नहीं नाणी।। तुमरो नाम सदा सुखकारी सुख उपजे दुःख जाये विसारी। चेतनरो मन तुमरे पास मन वांछित पुरो प्रभु पास।। दोहा :ओम् भगवंत चिंतामणि पार्श्वप्रभु जिनराय। नमो नमो तुम नाम से रोग शोक मिट जाय।। वात पित्त दूरे टले कफ नहीं आवै पास। चिंतामणि के नाम से मिटे खांस और श्वास।। प्रथम दूसरो तीसरो ताव चोथियों जाय। शूल बहतर परिहरे दाह खाज मिट जाय।। विस्फोटक गड गुमडा कोढ अठारह दूर। नेत्र रोग सब परिहरे रोग शोक मिट जाय।। चेतन पारस नाम को सुमरो मन चित लाय।। चौपाई :मन शुद्धे सुमरो भगवान् भयभंजन चिंतामणि नाम। भूत प्रेत भय जाये दूर जाप जपै सुख सम्पति पूर।। हाकरण श्याकरण व्यन्तर देव भय नहीं लारौ पारस सेव। जलचर थलचर उरपर जीव इनको भय नहीं समरो पीव।। बाग सिंह को भय नहीं कोय सर्प गोह आवै नहहीं कोय। बाट घाट में रक्षा करे चिंतामणि चिंता सब हरे।। टोणा टामण जादु करै तुमरो नाम लियां सब डरै। ठग फांसीगर तस्कर कोय द्वेषी दुशन नावे कोय।। भय सब भागे तुमरे नाम मन वांछित पूरो सब काम। भय निवारण पूरो आस चेतन जपे चिन्तामणि पास।। दोहा :चिंतामणि के नाम से सकल सिद्ध हो काम।
SR No.002355
Book TitleParmatma ka Abhishek Ek Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJineshratnasagar
PublisherAdinath Prakashan
Publication Year
Total Pages106
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy