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________________ (२) वर्गसंख्याचक्र (३) केवलवर्णसंख्याबोधकचक्र अवर्ग = १ क = १, ख = २, ग = ३, घ = ४, ङ = ५ च = १, छ = २, ज = ३, झ = ४, ञ = ५ ट = १, ठ = २, ड = ३, ढ = ४, ण = ५ त = १, थ = २, द = ३, ध = ४, न = ५ प = १, फ = २, ब = ३, भ = ४, म = ५ य = १, र = २, ल = ३, व = ४ श = १, ष = २, स = ३, ह = ४ (४) वर्गसंख्यासहित स्वरों और वर्गों के ध्रुवांक अवर्ग १ अ २, आ ३, इ ४, ई ५, उ ६, ऊ ७, ८, ऋ६, तृ १० लृ ११, ए १२, ऐ १३, ओ १४, औ १५, अं १६, अः १७ कवर्ग २ क् ३, ख् ४, ग् ५, घ ६, ङ् ७ च् ४, छ् ५, ज ६, झ् ७, ञ् ८ चवर्ग ३ टवर्ग ४ ट् ५, ६, ७, ८, ण् ६ तवर्ग ५ त् ६, थ् ७, ८, ५ ६, न् १० पवर्ग ६ प् ७, फ् ८, ब् ६, भ् १०, म् ११ यवर्ग ७ शवर्ग ८ | | य ८, ९ ६, ल् १०, व् ११ श् ६, १०, स् ११, ह् १२, त्र १३, क्ष् १४, १५ उदाहरण-जैसे मोतीलाल ने प्रातःकाल ७.३० बजे प्रश्न किया कि हमारे घर में पुत्र होगा या कन्या? यह प्रश्न पूर्वाह्न में होने के कारण आलिंगित काल का है। इसलिए पृच्छक से फल का नाम पूछा तो उसने अनार का नाम लिया। पृच्छक के इस प्रश्नवाक्य का विश्लेषण-(अ + न् + आ + र् + अ) हुआ; यहाँ दो व्यंजन (जिन्हें वर्ण कहा गया है) और तीन स्वर हैं, इसलिए चौथे चक्र की वर्गसंख्या सहित वर्णसंख्या (१० + E) = १६ को वर्गसंख्या सहित स्वरसंख्या (२ + ३ + २) = ७ से गुणा किया तो १६ x ७ = १३३ पिण्डसंख्या हुई। इसमें निम्नप्रकार अपने-अपने विकल्पानुसार भाग देने पर फलाफल होता ८६ : केवलज्ञानप्रश्नचूडामणि
SR No.002323
Book TitleKevalgyan Prashna Chudamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages226
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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