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________________ षोडशक प्रकरण विवरण 1/15 अध्यात्मकल्पद्रुम 12 अन्य जीवों के हित की चिन्ता करना मैत्रीभाव है । - 322. करुणा - परदुःख विनाशिनी तथा करुणा । 323. उपेक्षा - दूसरों के दुःख को दूर करना करुणा भावना है । 324. प्रमोद श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग + पृ. 2672 ] षोडशक विवरण 4/15 परदोषोपेक्षणमुपेक्षा । श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग + पृ. 2672] षोडशकप्रकरण विवरण 4/15 एवं अध्यात्मकल्पद्रुम - 12 अन्य के दोषों की उपेक्षा करना माध्यस्थ भावना है । परसुखतुष्टिर्मुदिता । श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग + पृ. 2672 ] षोडशकप्रकरण विवरण 4/15 एवं अध्यात्मकल्पद्रुम - 12 दूसरों के सुख को देखकर प्रमुदित होना प्रमोदभावना है । 325. उत्थान-पतन - जे पुव्वुट्ठाई, णो पच्छा - णिवाती । जे पुट्ठाई, पच्छा णिवाती । जे णो पुव्वुट्ठाई, णो पच्छा णिवाती । श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 4 पृ. 2673] आचारांग - 152158 अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस खण्ड-4 • 138
SR No.002319
Book TitleAbhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
PublisherKhubchandbhai Tribhovandas Vora
Publication Year1998
Total Pages262
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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