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________________ ३४ तरंगवती कन्या को कोई व्याधि नहीं है ।" ज्वर के प्रकार . लोगों को भोजन करने के बाद आनेवाला ज्वर कफज्वर होता है । पाचनक्रिया के दरम्यान जो ज्वर आये वह पित्तज्वर और पाचन के बाद आनेवाला ज्वर वातज्वर होता है । इन तीनों समय जो ज्वर आये वह सन्निपात ज्वर होता है, जिसमें बहुत-से प्रबल दोष मौजूद समझना । अथवा तो जिसमें उपरोक्त तीनों प्रकार के ज्वरों के लक्षण एवं दोष दिखाई दें उसे सन्निपात ज्वर समझना । इनके अतिरिक्त दंड, चाबुक, शस्त्र, पत्थर वगैरह के प्रहार के कारण, वृक्ष से गिर जाने या धक्का लगने से : ऐसे किसी विशिष्ट कारण से उत्पन्न ज्वर को आगंतुक ज्वर समझो। इन ज्वरों में से किसी एक का भी लक्षण मुझे यहाँ नहीं दिखाई पड़ता। अतः तुम निश्चित हो जाओ, इस कन्या का शरीर पूर्ण स्वस्थ है । लगता है कि तुम्हारी पुत्री उद्यानभ्रमण एवं वाहन में ठेल-पेल लगने से थक गई है । शारीरिक परिश्रम का ही ज्वर कन्या के हो ऐसा लगता है। शायद फिर भारी शोक व डर के कारण कुछ चित्तविकार हुआ हो जिससे यह बाला खिन्न हो गई है। इसमें अन्य कोई कारण नहीं है।' अम्मा और पिताजी को कारण एवं दलीलों से समझाकर ससम्मान सह बिदाई पाकर वैद्य हमारे घर से चला गया । विरहावस्था की व्यथा तत्पश्चात् भारी शोक से संतप्त हृदया एवं दुःखात हुई अम्मा ने सोगंध देकर मुझे दोपहर का भोजन कराया। वनमहोत्सव से लौट आई महिलाएं भी स्नान, भोजन एवं आनंदप्रमोद के अनेक प्रसंगों का वर्णन करने लगीं । मैं नीलरंगी शय्या में अशरण हो सोई किन्तु निद्राविहीन आँखों में वह रात कठिनाई से बीती । लोग कहते थे कि अगले दिन मुझे देख जो मदन के बाण से बींध गये थे उनके सैकडों बुजुर्ग पिताजी के पास मेरी मँगनी के लिए आये थे । परन्तु उम्मीदवार रूपवान थे फिर भी शील, व्रत, नियम एवं उपवास के गुणों में वे
SR No.002293
Book TitleTarangvati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPritam Singhvi
PublisherParshwa International Shaikshanik aur Shodhnishth Pratishthan
Publication Year1999
Total Pages140
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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