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________________ XXVI - तीर्थंकर पार्श्वनाथ 'तीर्थंकर पार्श्वनाथ ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में' विषयक. संगोष्ठी का द्वितीय सत्र डॉ. श्री रंजनसूरिदेव (पटना) की अध्यक्षता में डॉ. कमलेश कुमार जैन (वाराणसी) के द्वारा मंगलाचरण से प्रारम्भ हुआ। सत्र संयोजक डॉ. जयकुमार जैन (मुजफ्फरनगर) ने डॉ. प्रकाशचन्द जैन (दिल्ली) को आमंत्रित किया। जिन्होंने संगोष्ठी की उपयोगिता पर संस्कृत भाषा में छन्दवद्ध रचना को प्रस्तुत किया। ज्ञानदीप प्रज्जवलन पं. उदयचन्द जी वाराणसी ने किया। आलेख वाचन क्रम में सर्वप्रथम डॉ. प्रेमचन्द जैन (नजीबाबाद) ने तीर्थंकर पार्श्वनाथ : ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में, विषय पर अपने आलेख के माध्यम से भगवान् पार्श्वनाथ को ऐतिहासिक महापुरुष सिद्ध किया। उन्होंने श्रमण एवं वैदिक परम्परा में ऋषभदेव भगवान् का उल्लेख होने के बाद भी भगवान् महावीर को पाठ्य पुस्तकों में जैन धर्म का प्रवर्तक घोषित करना दुर्भाग्यपूर्ण बताया। द्वितीय आलेख डा. एस.पी. पाटिल (धारवाड़, कर्ना.) ने पार्श्वनाथ इंन चामुण्डराय पुराण एण्ड महापुराण ए कम्परेटिव स्टडी' पर आंग्ल भाषा में प्रस्तुत किया। तृतीय आलेख सुश्री डॉ. पद्मजा पाटिल (कोल्हापुर) ने 'मराठी साहित्य में तीर्थंकर पार्श्वनाथ' विषयक पढ़ा, जिसमें मराठी भाषा में लिखित भ. पार्श्वनाथ सम्बन्धी काव्यों एवं अन्य साहित्य पर विस्तृत प्रकाश डाला। चतुर्थ आलेख डॉ. नलिन के. शास्त्री (बोधगया) ने 'जननायक तीर्थंकर पार्श्वनाथ' विषयक पढ़ा, जिसमें उन्होंने तीर्थंकर पार्श्वनाथ से सम्बन्धित पाश्चात्य एवं भारतीय विचारकों के मत बताकर उन्हें जननायक बताया। पंचम आलेख में डॉ. अशोक कुमार जैन (ग्वालियर) ने 'भगवान् पार्श्वनाथ की ऐतिहासिकता : वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में' विषयक आलेख द्वारा भ. पार्श्वनाथ का उपसर्ग स्थल वनस्पति विज्ञान की दृष्टि में हिमालय की तराई के आसपास बताया। इस प्रकार पांच सारगर्भित शोधपरक आलेखों का वाचन इस सत्र में सम्पन्न हुआ। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में डॉ. श्री रंजनसूरिदेव (पटना) ने पठित आलेखों की समीक्षा की और कहा कि इन आलेखों के प्रकाशन से शोधार्थियों को नयी दिशायें मिलेंगी।
SR No.002274
Book TitleTirthankar Parshwanath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokkumar Jain, Jaykumar Jain, Sureshchandra Jain
PublisherPrachya Shraman Bharti
Publication Year1999
Total Pages418
LanguageSanskrit, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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