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________________ ३२ सम्बन्ध-दर्शन-अरिहंत और हम ........... ईर्या-विधान द्रव्य से-आँखों से देखकर चलें। क्षेत्र से-युग मात्र याने ३१/, हाथ भूमि को आगे देखकर चलें। काल से-जब तक दिखे तब तक चलें। भाव से-गमन में दत्तचित्त होकर चलें। गमनागमन के सम्पन्न होने पर प्रथम ईर्यापथिक कायोत्सर्ग करे। ईर्या विधान की वैज्ञानिकता अरिहंत परमात्मा द्वारा प्रस्तुत प्रथम विधान प्रत्येक युग की निःसन्देह प्रवृत्ति कैसे . है, यह देखे। युग कितने ही बदल जायँ पर प्रस्तुत विधान से साधक की कितनी सुरक्षा होती है यह अब आज के युग का संशोधन समझाता है। इस सामान्य विधि में असामान्य प्रभाव रहा हुआ है। ___ मनुष्य की आँख कैमरे की तरह होती है। जैसे कैमरा अपने सामने वाली चीज .. का प्रतिबिंब ग्रहण करता है। इसकी बनावट बाहर से लंबगोल और भीतर से गोलाकार होती है। मध्यभाग जो थोड़ा उभरा हुआ होता है उसे कार्निया (Cornea) - RETINA TILL TILITTIm IRIS LENS. TTTTTTI PUPIL VITREOUS HUMOUR CORNEA INDILLI.. AQUEOUS HUMOUR OPTIC NERVE RUTTILLL UNILD LONDIA कहा जाता है। इस काले भाग में एक छोटा-सा गोल बिन्दु दिखाई देता है जिसे तारा (Pupil) या पुतली कहा जाता है। इसी से प्रकाश आँख के भीतर प्रवेश करता है।
SR No.002263
Book TitleArihant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyaprabhashreji
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year1992
Total Pages310
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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