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________________ षोडशाध्ययनम् ] . हिन्दीभाषाटीकासहितम् । [ ६७५ वा, स्तनितशब्दं वा, क्रन्दितशब्द वा, विलपितशब्दं वा श्रोता (न) भवति, स निर्ग्रन्थः। तत्कथमिति चेत् ? आचार्य आहनिम्रन्थस्य खल्लु स्त्रीणां कुड्यान्तरे वा, दूष्यान्तरे वा, भित्त्यन्तरे वा कूजितशब्दं वा, रुदितशब्दं वा, गीतशब्दं वा, हसितशब्दं वा, स्तनितशब्दं वा, क्रन्दितशब्दं वा, विलपितशब्दं वा श्रृण्वतो ब्रह्मचारिणो ब्रह्मचर्ये शङ्का वा काङ्क्षा वा विचिकित्सा वा समुत्पद्येत, भेदं वा लभेत, उन्मादं वा प्राप्नुयात् , दीर्घकालिको वा रोगातङ्को भवेत् , केवलिप्रज्ञप्ताद् धर्माद् भ्रश्येत् । तस्मात् खलु नो निम्रन्थः स्त्रीणां कुड्यान्तरे वा, दूष्यान्तरे वा, भित्त्यन्तरे वा कूजितशब्दं वा, रुदितशब्दं वा, गीतशब्दं वा, हसितशब्द वा, स्तनितशब्दं वा, क्रन्दितशब्दं वा, विलपितशब्दं वा शृण्वन् विहरेत् ॥५॥ ___ पदार्थान्वयः-नो-नहीं निग्गन्थे-निम्रन्थ इत्थीणं-स्त्रियों के कुडन्तरंसिकुड्य–पत्थर की दीवार आदि में वा-अथवा दूसन्तरंसि-वस्त्र के अन्तर में भित्तन्तरंसि-दीवार के अन्तर में कूइयसई-विलास समय का कूजित शब्द रुइयसईप्रेमरोष का शब्द गीयसई-गीतशब्द हसियसई-हसितशब्द-हँसने का शब्द थणियसई-रतिसमय में किया हुआ स्तनितशब्द कन्दियसई-आक्रन्दन शब्द विलवियसई-प्रलापरूप विलपित शब्द णेत्ता-सुनने वाला हवइ-होवे से-वह निग्गन्थे-निर्ग्रन्थ है। तं कहमिति चे-वह ऐसा क्यों है ? इस पर आयरियाहआचार्य कहते हैं कि निग्गन्थस्स-निर्ग्रन्थ खलु-निश्चय से इत्थीणं-स्त्रियों के कुड्डन्तरंसि-कुड्य आदि में दूसन्तरंसि-वस्त्र के अन्तर में भित्तन्तरंसि-दीवार के अन्तर में कूइयसई-विलास समय का कूजित शब्द रुझ्यसई-प्रेमरोष का शब्द गीयसईगाने का शब्द हसियसदं-हँसने का शब्द थणियसई-रतिसमय में किया स्तनित शब्द कन्दियसई-आक्रन्दनशब्द विलवियसदं वा-अथवा प्रलापरूप विलपित शब्द को सुणेमाणस्स-सुनते हुए बम्भयारिस्स-ब्रह्मचारी के बम्भचेरे-ब्रह्मचर्य में संका-शंका
SR No.002203
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherJain Shastramala Karyalay
Publication Year
Total Pages644
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size12 MB
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