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________________ ४० : जैनधर्म की प्रमुख साध्वियां एवं महिलाएं राजा दशरथ के रथ की बागडोर संभाली थी। इस विशेष गुण तथा रूपवान् रानी से राजा अत्यन्त प्रसन्न हआ और उसे वरदान माँगने को कहा। प्रवीण रानी ने दोनों 'वर' धरोहर के रूप में राजा के पास ही रखे। राजा दशरथ की पत्नी कौशल्या (अपराजिता) से राम, सुमित्रा से लक्ष्मण तथा सुप्रभा से शत्रुघ्न उत्पन्न हए। रानी कैकेयी ने भी सुन्दर कान्तिमान् पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम भरत रखा गया । राम ने अपने पराक्रम से सीता तथा लक्ष्मण ने अन्य राज पुत्रियों को विवाह हेतु प्राप्त कर लिया किन्तु उस समय अपने शौर्य तथा पराक्रम के प्रदर्शन का अवसर न मिलने से भरत के मन में बहुत ग्लानि उत्पन्न हुई । तदनन्तर मनोविज्ञान में प्रवीण माता कैकेयी पूत्र के इस मनोभाव को जान गई । अतः उसने भरत की इस ग्लानि को दूर करने के लिये राजा दशरथ को सलाह दी कि, "हे नाथ, मुझे भरत का मन शोकयुक्त दिखाई देता है इसलिए राजा जनक के लघुभ्राता की पुत्रियों से भरत का भी विवाह करवा दीजिये" । कैकेयी की सलाह से राजा दशरथ ने वैसा ही किया । जैन ग्रन्थ पद्मपुराण के अनुसार कैकेयी ने राम के राज्याभिषेक के समय अपने धरोहर रूपी दो वरदान मांगे। कथानुसार जिस समय राजा दशरथ ने राम के राज्याभिषेक तथा स्वयं के दीक्षित होने का संकल्प सभाजनों के सामने रखा उस समय सब जगह शोक का वातावरण व्याप्त हो गया। अन्तःपूर की महिलाएं करुण क्रन्दन करने लगीं। यह सब देख कर भरत को भी संसार से विरक्ति हो गई और संन्यास लेने की सोचने लगे। वात्सल्यहृदया कैकेयी से पूत्र के भाव छिपे न रह सके । वह भरत का अभिप्राय जानकर अत्यधिक शोकमग्न हो गई। उसने सोचा कि पति तथा पुत्र दोनों ही दीक्षा धारण करने को उद्यत हैं अतः किसी निश्चित उपाय से उन्हें रोकने का प्रयत्न करू । इस कठिन बेला में उसे पूर्व में दशरथ द्वारा दिये गये वर माँगने की स्मृति हो आई। उचित समय जानकर वह राजा दशरथ के पास जाकर उन्हें अपने प्रण की याद दिलाई और १. (क) रविषेणाचार्य, पद्मपुराण, भाग १, पर्व २४, पृ० ४८५ (ख) त्रिषष्टिशलाकापुरुष, पर्व ७, सर्ग ४, पृ० ६५ २. रविषेणाचार्य, पद्मपुराण, भाग १, पर्व २५, पृ० ४९१ ३. रविषेणाचार्य, पद्मपुराण, भाग २ पर्व २८, पृ० ४२ ४. वही, पृ० ७५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002126
Book TitleJain Dharma ki Pramukh Sadhviya evam Mahilaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHirabai Boradiya
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Religion
File Size16 MB
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