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________________ (२) सत्य महाव्रत की ५ भावनायें : (१) वाणी- विवेक (२) क्रोध-त्याग (३) लोभ-त्याग श्रमणाचार : २०७ (४) भय-त्याग (५) हास्य त्याग इनके पालन से सत्यमहाव्रत पूर्णतः सुरक्षित रहता है । (३) अस्तेय महाव्रत की ५ भावनायें : (१) सोच विचारपूर्वक मितावग्रह को याचना । (२) अनुज्ञापित पान - भोजन ग्रहण करना । (३) अवग्रह का अवधारण करना । (४) अभीक्ष्ण ( पुन: पुनः ) वस्तुओं की मर्यादा करना । (५) साधर्मिक से परिमित पदार्थों की याचना करना । ये पाँच भावनाएँ अस्तेय महाव्रत की सुदृढ़ता के लिए हैं । (५) ब्रह्मचर्यं महाव्रत को ५ भावनायें : (१) स्त्री कथा का वर्जन (२) स्त्रियों के अंग-प्रत्यंगों के अवलोकन का वर्जन (३) पूर्वानुभूत काम-क्रीड़ा की स्मृति का निषेध (४) अति मात्रा और प्रणीत पान-भोजन का वर्जन (५) स्त्री, पशु आदि से संसक्त शय्यासन का वर्जन । इन पाँचों भावनाओं के पालन से ब्रह्मचर्य व्रत विशुद्ध रहता है । (५) अपरिग्रह महाव्रत : (१) मनोज्ञ - अमनोज्ञ शब्द में राग-द्वेष नहीं करना ( समभाव ) (२) मनोज्ञ - अपनोज्ञ रूप में राग-द्वेष नहीं करना ( समभाव ) (३) मनोज्ञ - अमनोज्ञ गन्ध में राग-द्वेष नहीं करना (समभाव ) (४) मनोज्ञ-अमनोज्ञ रस में राग-द्वेष नहीं करना ( समभाव ) (५) मनोज्ञ-अमनोज्ञ स्पर्श में राग-द्वेष नहीं करना ( समभाव ) * उपर्युक्त ५ भावनाएँ अपरिग्रह महाव्रत की सुरक्षा के लिए बताई गई हैं । समवायांग' और प्रश्न व्याकरण' में भी महाव्रतों की २५ भावनाओं का वर्णन मिलता है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002111
Book TitleAcharanga ka Nitishastriya Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadarshanshreeji
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1995
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Research, & Ethics
File Size13 MB
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