SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 16
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कार्य इनके हाथ में होते हैं। वे 2,4,6,8 आदि सम संख्याओं में होते हैं। 1,3,5, में नहीं, जैसे लड़के होंगे तो 2,4,6, काम में साझीदार होंगे तो 2,4,6,8, आदि। इनके परिवार में लड़कों की संख्या अधिक रहती है। मामा के परिवार में भी लड़के अधिक होते हैं। स्वंय की ससुराल में भी, इस प्रकार से बताना चाहिए। यदि पत्नी का हाथ समकोण की बजाए चमसाकार हो तो सन्तान संख्या 1,3,5 भी हो सकती है। इनके परिवार और रिश्तेदारों में खूब बनती है। ऐसे व्यक्ति धनवान और सुखी होते हैं, लेकिन ध्यान रहे, मामा और पिता के परिवार में 1-2, व्यक्ति नालायक भी होते हैं। इस सम्बन्ध में विचार करते समय मस्तिष्क व हृदय रेखा पर विचार कर लेना चाहिए। मस्तिष्क रेखा मंगल रेखा की ओर जाती है तो चाचा और मामा का स्वभाव तेज होता है। हृदय रेखा दोषपूर्ण हो तो मामा व चाचा आलसी व आवारा होते हैं। जीवन रेखा के अन्त में द्वीप हो तो चाची व मामी क्लेश करने वाली होती हैं, साथ ही उनका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता। समकोण हाथों में 42 वां वर्ष ठीक नहीं होता। इन हाथों में जन्म तिथि में 7 व उसके गुणक जोड़कर प्राप्त होने वाले वर्ष उन्नति के होते हैं, जैसे किसी की जन्म तिथि 23 जनवरी हो तो,- 23+7=30, 37, 44 और 51 वर्ष जीवन में उन्नति के होते हैं। यही नियम चमसाकार व आदर्शवादी हाथ में लागू किया जाना चाहिए। समकोण हाथों में रेखाएं व अन्य प्रकार के दोष फल नहीं करते अर्थात् अनुमान की अपेक्षा खराब फल कम होते हैं और अच्छे फल अनुमान से अधिक। ऐसे व्यक्ति के परिवार में सभी की आयु लम्बी होती है, परन्तु वंश में एक दो जवान मौतें भी होती हैं। बड़ी आयु में इन व्यक्तियों को वायु व पित्त का प्रभाव हो जाता है। प्रायः ऐसे व्यक्तियों को रक्तचाप या हृदयरोग जैसी बीमारियां बड़ी उम्र में देखी जाती हैं। बृहस्पति प्रधान होने के कारण इनके बाल शीघ्र सफेद हो जाते हैं। घर में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं होता जिसके बाल सफेद न हों। लगभग 35 वर्ष की आयु में ही बाल सफेद होने आरम्भ होते हैं। परन्तु कभी-कभी 16 वर्ष की आयु में ही बाल सफेद होते देखे जाते हैं। इनके वंश में एक-दो व्यक्ति का वंश भी नहीं चलता, परन्तु ऐसे उदाहरण बहुत कम होते हैं। दो विवाह भी परिवार या वंश में कोई न कोई अवश्य करता है। ऐसे व्यक्तियों का चोरी से नुकसान होता है और उधार भी डूबता है। सम्पत्ति सम्बन्धी झगड़े भी कुछ न कुछ अवश्य रहते हैं, परन्तु इनमें सफलता नहीं होती। ऐसे व्यक्ति स्पष्ट रूप से किसी का भी विरोध नहीं करते। दूसरे से सहमत होने के पश्चात् ही ये अपनी सम्पत्ति उन्हें विरोध के रूप में देते हैं। खुलकर विरोध या किसी की बात काटने को ये असभ्यता मानते हैं, अत: अधिकतर समन्वयात्मक दृष्टिकोण से काम चलाते हैं। इनके निर्णय स्पष्ट व निश्चित होते हैं। अपनी उपरोक्त 15 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy