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________________ हैं, समाज में प्रचलित आचार-विचार व प्रथाओं का सम्मान करते हैं। इनमें नम्रता कूट कूटकर भरी होती है। ये स्वाभिमानी होते हैं और बहुत कम व्यक्ति नौकरी करते देखे जाते हैं। स्वभावतः ही ये स्वतन्त्र जीवन व्यतीत करते हैं। ऐसे व्यक्ति डाक्टर, वकील, वैद्य, उद्योगपति आदि होते हैं। ये प्रकृति प्रेमी, धर्म शास्त्र व अन्य शास्त्र के ज्ञाता होते हैं। ऐसे व्यक्ति पहाड़ों या ठंडे प्रदेशों में व्यापार करना या रहना बहुत पसन्द करते हैं। ये प्रायः उदार होते हैं। मस्तिष्क रेखा व हृदय रेखा के पास में होने पर हो सकता है कि धन के विषय में अधिक सोचने वाले हों, परन्तु विवाह, भोज तथा दान में दिल खोलकर खर्च करते हैं। धर्मशाला, स्कूल, मन्दिर-मस्जिद आदि भी ऐसे व्यक्ति अवश्य बनवाते हैं या इनके परिवार में कोई न कोई ऐसा कार्य करने वाला होता है। ऐसे व्यक्ति अपनी स्वार्थ सिद्धि करते हुए दूसरों की भलाई करते हैं। स्वभाव के ये गम्भीर होते हैं। अन्त में ये गृह त्याग करते हैं। साधु भले ही न बने, अन्तिम आयु में एकान्तवासी और ईश्वर चिन्तन करते हैं। प्रायः देखा गया है कि अन्तिम आयु में इन्हें बिना जीवन साथी के रहना पड़ता है। कष्ट आते हैं, परन्तु प्रभु कृपा से दूर हो जाते हैं और सम्मान भी निर्विघ्न बना रहता है। समकोण हाथ वाले व्यक्ति हमेशा सावधान होते हैं। ऐसे व्यक्ति दूसरों की सलाह और अपने विचारों की सहमति के पश्चात् ही कोई कार्य करते हैं। ये शरीर के कोमल होते हैं और इन्हें गर्मी में अधिक गर्मी तथा सर्दी में अधिक सर्दी लगती है। ये परिवार के लिए त्याग करते हैं और सदैव ही सम्मिलित परिवार के समर्थक होते हैं। यह बात दूसरी है कि परिवार जनों के लिए इन्हें सम्मिलित परिवार छोड़ना पड़े, परन्तु ऐसे परिवारों में लम्बे समय तक सम्मिलित परिवार चलता देखा गया है। हृदय व मस्तिष्क रेखा का अन्तर अधिक होने पर जीवन भर सम्मिलित परिवार चलता रहता है। __समकोण हाथ यदि भारी भी हो तो ऐसे व्यक्ति दानी व प्रभावशाली होते हैं। लोगों को शिक्षा दिलाना, उपचार कराना आदि कार्य करते रहते हैं। ऐसे व्यक्ति अपने स्वभाव से दूसरों के झगड़े, चाहे वे परिवार के हों या गांव या देश के, निपटा देते हैं। उच्च अधिकारी जो एक देश का दूसरे देश में प्रतिनिधित्व करते हैं, इसी प्रकार के हाथ वाले होते हैं। ऐसे व्यक्ति स्वयं झगड़ा करना पसन्द नहीं करते, जब तक मजबूरी न हो झगड़े या मुकद्दमेबाजी से दूर रहते हैं। __ ऐसे व्यक्ति असभ्यता से नहीं लड़ते । यदि कोई लड़ाई-झगड़ा होता भी है, तो सभ्यता से होता है। इनकी सन्तान में लड़के अधिक होते हैं। इनकी सन्तान में पहला बच्चा क्रोधी, दूसरा चालाक व बातूनी तथा तीसरा चुप रहने वाला होता है। सभी सन्तानें चतुर व बुद्धिमान होती हैं। समकोण हाथ वाले व्यक्ति के लिए एक विशेष बात यह है कि संख्या के विषय में सोचते हुए सम संख्या नियम लागू होता है अर्थात जो भी 14 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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