SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 484
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ साध्वी डॉ. प्रियलताश्री जन्म नाम : कु. चन्द्रा बैद पिताश्री का नाम : स्व. श्रीमान ज्ञानचंदजी बैद माताश्री का नाम : श्रीमती मानीबाई जन्मतिथि, दिनांक : पोष सुदि बारस, 24 दिसम्बर 1966 जन्म स्थान र फलोदी (राज.) दीक्षा तिथि व दिनांक : फाल्गुन सुदि चौथ, 7 मार्च 1984 दीक्षा स्थल : फलोदी (राज.) छोटी-बड़ी दीक्षादाता : स्व. प.पू. आचार्य श्रीमज्जिन कान्तिसागरजी म.सा. गुरुवर्या श्री पार्श्वमणि तीर्थ प्रेरिका प.पू. गुरुवर्या श्री सुलोचनाश्रीजी म.सा. उग्रतपस्विनी प.पू. सुलक्षणाश्रीजी म.सा. विचरण क्षेत्र : राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, केरला, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, उड़िसा . तपश्चर्या : मासक्षमण, वीसस्थानक तप, ज्ञानपंचमी, मौनएग्यारस अध्ययन : तर्क न्याय, संस्कृत, व्याकरण, हिन्दी तत्त्वज्ञान, आगमादि एम.ए. जैन विद्या और तुलनात्मक धर्म-दर्शन पीएच.डी.- जैन दर्शन में त्रिविध आत्मा की अवधारणा विशेषता: किसी विषय पर त्वरित निर्णय लेने की क्षमता, ओजस्वी प्रवचन, कविता, मुक्तकादि की नई रचनाशैली, अध्ययन/लेखन रूचि, प्रसन्नचित्त, मधुर मुस्कान, आत्मचिंतन, तत्त्वरसिका, सरलता, सहजता, मधुर व्यवहार, क्षमा, करूणा, मैत्री व्यवहार कुशल, अध्यात्म विचारों से युक्त, स्वाध्याय, ज्ञान, ध्यानादि का तत्त्वबोध की प्रेरणा के द्वारा जिनशासन सेवा में रत्। प्रकाशित पुस्तकें : - सुलोचन...सुलक्षण...सुमन - नवपद की महिमा श्रीपाल मयणा की गरिमा - अध्यात्म अमृत झरना - अर्हत् चैत्य...अर्हत् बिम्ब...(प्रेस में) - जैन दर्शन में त्रिविध आत्मा की अवधारणा - सचित्र रत्नाकर पच्चीसी (प्रेस में) अजEducatherinternational BONS PesonaHustodonty
SR No.001714
Book TitleJain Darshan me Trividh Atma ki Avdharana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyalatashreeji
PublisherPrem Sulochan Prakashan Peddtumbalam AP
Publication Year2007
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Soul
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy