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________________ द्वितीयं परिवाछन् । द्वितीयं परिशिष्टम् । . ५ कुलकरास्तत्परिवारश्च णाभि णाहि पडिरूवा अभिचंद चक्खुकता चक्खुमं चंदकंता चंदजसा जसस्सी पसेणइ मरुदेव मरुदेवा मरुदेवी विमलवाहण सिरिकता सुरूवा ६ कृष्णवासुदेवनामानि हरि केसव गोविंद चक्काउह जणद्दण णारायण दामोयर महुणिहाइ महुमहण माहव वासुदेव .७ क्रीडानाम ८ क्षत्रियाः क्षत्रियपत्नी च आमलखेड जमाली मित्तवम्म वरुणवम्म सीलवई ९ क्षेत्राणि अवरभरह अवरविदेह उत्तरकुरा एरवय गंधिलाई देवकुरा पुक्खलावई पुष्वविदेह भरह भरहखंड भारह मंगलावई रमणिज्ज सिलावती सुकच्छ सुगंधि हरिवरिस ___१० गणधराः अग्गिभूइ इंदभूइ उसभसेण हारिय १० गणधराः गोयम भारद्दा गोयमसामि । वरयत्त जयहर वाउभूह कासव कोडिण्ण कोसिय वासिट्ठ सुहम्म सुहम्मसामि सोहम्म ११ गणिका १३ ग्रन्थ-शास्त्राणि तिलोयसुंदरी १२ गुहे खंडप्पवाया तिमिसगुहा सङ्गीतशास्त्र तरंगमइया पउमचरिय पढमाणुओग लक्खणसत्थपंजिया सद्वितंत अंगिरस कच्चायण गइंद चित्तरह समुद्द १४ प्रन्थकार-शास्त्रकाराः शीलाक भरह विमलमति सवर -विहाण सालिभद णग्गह णल धष्णंतरि पालित्तय सोलंक सिलायरिय सेणावह Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001442
Book TitleChaupannamahapurischariyam
Original Sutra AuthorShilankacharya
AuthorAmrutlal Bhojak, Dalsukh Malvania, Vasudev S Agarwal
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year2006
Total Pages464
LanguagePrakrit, English, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size14 MB
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