SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 231
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अट्ठासीइमो संधि णिय-सेण्णु असेसु-वि खयहो गउ णिबंधइयउ संवरइ। एक्कल्लउ कुरुव-णराहिवइ वास-महासरे पइसरइ ।। [१] [दुवई] वंधव-सयण-सोय-परिपूरेण ण-किय-दिसावलोयणो। अट्ठारह णिसाहय णिद्दालस-वस-घुम्मंत-लोयणो॥ कह-वि कह-वि थोवंतरे जाएवि सरवर-तीरे तेण तहिं थाएवि रइयंजलि-करेण उल्लाविय पंच-वि लोयवाल वोल्लाविय उप्परि जाम सीसु णिय-खंधहो तावं ण सरणु जामि जरसंधहो जाम सहेज्जियाउ वे वाहउ तावं धरित्तिहे हउं जे सणाहउ तइयउ दियहु जाम थिरु तिट्ठइ कउरव-सेण्णु ताम णउ णिट्ठइ जाम चउत्थी हत्थि महागय ताम जंति कउ वइरि अहम्मय मई मारेवा पंच-वि पंडव वणे पंचाणणेण वेयंड व मं वोल्लेसइ कुरुवइ णट्ठउ अच्छमि सलिलहो मज्झे पइट्ठउ घत्ता अक्खिज्जहो वत्त महु-त्तणिय रायहो णरहो विओयरहो। सुहु सुत्तउ कुरुव-णराहिवइ अच्छइ मज्झे महा-सरहो।। [२] [दुवई]] जइ कइयहु-मि भामि पिहि-पुत्तहं तो तुम्हइं जे सक्खिणा। मंत पियामहेण जे दिण्णा होति मते सदक्खिणा॥ एम भणेवि पइड महा-सरे परिमुक्क-मल-कमल-कमलायरे तहिं विहुरे-वि ण मेल्लिउ माणे जले णिवण्णु णिय-मंतह पाणे ८ १० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001429
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages282
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy