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________________ महावीराष्टक-प्रवचन | २७ महावीर का दिव्य घोष महावीर के युग में मनुष्य का जीवन भी ऐसा हो गया था कि संसार की असारता में जीवन का सार-तत्त्व ही भूल गया। गंदगी इतनी अधिक थी कि कहीं पवित्रता का अता-पता न था। चारों तरफ मृत्यु ही नाच रही थी। लेकिन भगवान् की वाक्-गंगा में मलिनता धुल गई और परमशुद्धता पाई। भगवान् से अमरता पा ली। अन्धविश्वास, जाति, वर्ण आदि के भेदभाव से रूढ़ परम्परा के बन्धनों में मानवता बुरी तरह जकड़ गई थी। ___ महावीर का 'दिव्य घोष गूंजा-"अप्पा सो परमप्पा।” हर आत्मा में परमात्म भाव के दर्शन में बेड़ियों को तोड़ा। सम्पूर्ण स्वतंत्रता से साधना की ऊँची उड़ानें भरने का आनन्द पाया। यह वाणी ऐसी बरसी, ऐसी बरसी कि अनेकानेक जन्मों से चलती आ रही ईर्ष्या, घृणा, नफरत, द्वेष और क्रोध के दावानल को बुझा दिया। इस वाणी ने आसक्ति एवं मूर्छा में मूच्छित पड़े देवा को जगाया। भाग्य के मारे हताश, निराश हो गिर पड़े लोगों को उठाया। पुरुषार्थ में गति ला दी। नया महान् जीवन उपलब्ध कराया। साक्षात् सरस्वती .. जो चील वृत्ति से झपट-झपट कर दूसरों के अस्तित्व को/जीवन को निगल जाते थे, महावीर की दिव्य वाणी से उनकी वृत्ति में इतना परिवर्तन आया कि स्वच्छ मानव-सरोवर के मोती चुगने वाले हंस बन गए। वेदों में जिस प्रिय वाणी का संगान किया गया, वह वाणी है महावीर की। वह साक्षात् सरस्वती है। सबका सम्पूर्ण रूप से मंगल-कल्याण करनेवाली वह ऋषि है। वह मधु है। जिस किसी ने उस मधुर, रम्य एवं प्रिय वाणी का पान किया, वह भी मधु के समान बन गया। आज भी वह वाक्-गंगा दुनिया के प्रदूषण एवं गंदगी से अछूती है। उसमें जो स्नान करते हैं, उनके त्रिविध ताप को हरनेवाली है । बड़े-बड़े वाग्मी प्रणत मुद्रा में पान करने को लालायित रहते हैं । खोजी, जीवन के अमूल्य खजाने को पाने के लिए प्रयत्नशील हैं। जिन्होंने पाया, वे भी गद्गद हो भाव-विह्वल हो अहोभाव में भगवान् महावीर की वंदना किए जा रहे हैं। चरण-वन्दनपूर्वक प्रार्थना है-महावीर स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे। ** * Jain Education International For Private & Personal Use Only . www.jainelibrary.org
SR No.001376
Book TitleMahavirashtak Pravachan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1997
Total Pages50
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size3 MB
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