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________________ विवाहपण्णत्तिसुत्तं [स० ७ उ० ३-४-५ [२] से केणणं भंते ! एवं वुच्चति 'जे वेदणासमए न से णिज्जरासमए, जे निजरासमए न से वेदणासमए' १ गोयमा ! जं समयं वेदेंति नो तं समयं निज्जरेंति, जं समयं निज्जरेंति नो तं समयं वेदेंति; अन्नम्मि समए वेदेंति, अन्नम्म समए निज्जरेंति; अन्ने से वेदणासमए, अन्ने से निज्जरासमए । से तेणट्टेणं जाव ५ न से वेदणासमए । २८८ २१. [१] नेरतियाणं भंते! जे वेदणासमए से निज्जरासमए ? जे निज्जरासमए से वेदणा समए १ गोयमा ! णो इणट्टे समट्ठे । [२] से केणेणं भंते! एवं वुच्चइ 'नेरइयाणं जे वेदणासमए न से निज्जरासमए, जे निज्जरासमए न से वेदणासमए ?' गोयमा ! १० नेरइया णं जं समयं वेदेति णो तं समयं निज्जरेंति, जं समयं निज्जरेंति नो तं समयं वेदेंति; अन्नम्म समए वेदेंति, अन्नम्मि समए निजरेंति; अन्ने से वेदणासमए, अन्ने से निज्जरासमए । से तेणट्टेणं जाव न से वेदण। समए । २२. एवं जाव वैमाणियाणं । १५ [सु. २३-२४. चउषी सदंडएमु सासयत्त - असासयत्तपरूषणा ] २३. [१] नेरतिया भंते! किं सासया, असासया ? गोयमा ! सिय सासया, सिय असासया । [२] से केणद्वेणं भंते! एवं बुच्चइ 'नेरतिया सिय सासया, सिय असासया' ? गोयमा ! अव्वोच्छित्तिनयट्ठताए सासया, वोच्छित्तिणयट्टयाए २० असासया । से तेणट्ठेणं जाव सिय असासया । २४. एवं जाव वेमाणियाणं जाव सिय असासया । सेवं भंते ! सेवं भंते ति० । सत्तमसतस्स ततिउद्देसो ॥ ७०३ ॥ १. सत्तमस्स सयस्स ला १ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001018
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1974
Total Pages548
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Philosophy, & agam_bhagwati
File Size9 MB
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