SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 29
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तो उसकी कगन्छ र कई विन से ( २९ ) ने हजारों दादाजी की सेवा भक्ति और पूजा करने वालों को उल्टे खिलाफ बना दिया। यदि हरिसागरजी अपना पतित आचार छिपाने के लिए ही यह गच्छ कदाग्रह रूपी षड्यंत्र रचना अच्छा समझता हो तो उसकी यह बड़ी भारी भूल है क्योंकि अब खरतरे भी इतने अज्ञानी नहीं हैं कि गन्छ कदाग्रह की ओट में हरिसागरजी इस प्रकार शिकार खेल सके ? भले कई विघ्न संतोषी खरतर अपने स्वार्थ के लिए लड़ाई मगड़े में हरिसागरजी जैसे जाटों को अपना हथियार बनालें पर आखिर तो वे हैं ओसवाल परीक्षा कर ही लेगा। प्रसंगोपात इतना कह कर अब हम मूल. विषय पर आते हैं। ____ इस वर्ष खरतरों ने सावत्सरी भादवा शु० ४ बुधवार को की ? तत्र तपागच्छ वालों ने भा० शु० चौथ दूजी गुरुवार को सावत्सरी की। तपागच्छ की पाठशाला में पर्दूषणों के व्याख्यान यतिवर्य मुकनचन्दजी ने बांचे जब यतिजी, पौषाध वाले, और अन्य लोग मिलकर मन्दिरों के दर्शन को गये वे क्रमशहीरावाड़ी के मंदिर पहुंचे तो जिस कोटरी में दादाजीका पगलिया रहा था उस कोठरी के ताला लगा देखा । शायद खरतरों का इरादा किसी को दर्शन नहीं करने देने का हो। श्री संघ मन्दिरजी के दर्शन करके वापस उपासरे चले गये बाद सावत्सरिक प्रतिकमण बैठने की तैयारी थी कि समाचार सुना कि खरतरों ने हीरा बाड़ी के मन्दिर में जिस कोठरी में दादाजी का पगलिया ररूा है वहाँ दुबारा किवाड़ लगा रहे हैं। खरतरों को ऐसे पर्व दिन सिवाय तथा तपागच्छ वालों के पौषध सिवाय कोई दिन ही नहीं मिलता है। क्योंकि अपने या दूसरों के धर्मान्तराय व कर्म बन्द से तो यह Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034563
Book TitleNagor Ke Vartaman Aur Khartaro Ka Anyaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktisagar
PublisherMuktisagar
Publication Year
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy