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________________ रखती है। जिसमें शास्त्र तो जुगराफिये की तरह विरागभाव और भगवान् के स्वरूप का वर्णन करने पाला है और प्रतिमा ही इसकी मूर्ति बनाई हुई है और जिस प्रकार शास्त्र जड़ है मगर उत्तम भावों के. उत्पन्न करने वाला है उसी तरह मूर्ति भी जड़ अवश्य है, लेकिन अच्छे भावों को (जिन से ईश्वरीय ज्ञान होता है) उत्पन्न करने वाली है, और इस विशाल संसार में ऐसा एक भी मत नहीं है जो मूर्ति पूजा को किसी न किसी प्रकार नहीं मानता हो। यदि कोई किसी मत के व्यक्ति जड़ (पत्थर) मूर्ति को नहीं मानता होगा तो वेद, कुरानशरीफ, अंजिल, बाइबिल श्रादि अपने धार्मिक पुस्तकों को जो कि जड़ रूप (साकार) है मान और सम्मान अवश्वमेव करता होगा। आर्य-महात्मन् , पत्थर की बनी हुई गौ कभी दूध नहीं देती इसलिये जड़ मूर्ति की पूजा से चेतन ईश्वर का शान कभी नहीं होगा और न कुछ दूसरा हो लाभ होगा। दादाजी-यह आपको बड़ी भूल है कि पत्थर की गौ दूध नहीं देती, यदि थोड़ा भी विचारे तो आप कह सकते हैं कि पत्थर (जड़) की गौ वास्तविक गौ से भी कहीं कहीं अफिक फायदे मन्द है, अच्छा; ध्यान देकर सुनियेशिलाजीत, मकरध्वज आदि रसायन और ब्राह्मी आदि बूटियां जड़ पदार्थ है मगर इसके सेवन से लोगों के अनेकों रोग नष्ट होकर शरीर नौरोग और Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034562
Book TitleMurti Puja Tattva Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGangadhar Mishra
PublisherFulchand Hajarimal Vijapurwale
Publication Year1947
Total Pages94
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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