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________________ ( ३७ ) उन्हें रेखागणित की पुस्तके भी पढ़नी पड़ती है, जिनमें रेखा और बिन्दु श्रोदि की परिभाषा निराकार सी प्रतीत होती है। मगर बहुतेरे लड़के रेखागणित में प्रवीण होकर भूगोल, खगोल, भगोल प्रादि की चमत्कारिक गूढ़ कठिन बातें प्रत्यक्ष कर लेते हैं। इसी तरह यथाकथित पूजा-ध्यान आदि के द्वारा साकार मूर्ति से निराकार ईश्वर का बोध होता है। आर्य-महात्मन्, रेखा और बिन्दु की बात अच्छी तरह समझ में नहीं पाई. अतः कृपया फिर इसको विस्तार पूर्वक समझा। बादाजी-अच्छी बात, सुनिये-मानलीजिये कि किसी खड़के ने अपने माष्टर से रेखामणित के पाठ के समय में पहले यही प्रश्न पूछा कि माष्टर साहिब, रेना किसे कहते हैं ? माष्टर ने उत्तर में कहा-जिस में लम्बाई हो और मोटाई नहीं हो उसे 'रेखा' कहते हैं। इस उत्तर को सुन कर लड़का अपने मन में शोचने लगा भला माष्टर साहब क्या कह रहे हैं, क्या ऐसी भी कोई चीज हो सकती है जिस में लम्बाई हों पर मोटाई नहीं? ऐसा कभी नहीं हो सकता, मोलुम होता है कि माष्टर साहब हम को कुछ कह कर प्रतार (पहला) रहे हैं, लड़का होसियार था, उसके हृदय में बह बात नहीं बैठी उसने फिर माष्टर से पूछा:-माष्टर साहब, आपने जो उत्तर में कहा। वह ठीक नहीं जचता, क्योंकि ऐसी तो कोई चीज ही नजर में नहीं माती-जिस में लम्बाई हो किन्तु Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034562
Book TitleMurti Puja Tattva Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGangadhar Mishra
PublisherFulchand Hajarimal Vijapurwale
Publication Year1947
Total Pages94
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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