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________________ चिकागो प्रश्नोत्तर | कौन ऐसा होगा जो श्रीमन्महामुनिराज सूरीश्वर श्री १००८ श्रीमद्विजयानंद ( श्री आत्माराम ) जी को न जानता हो ! उन्ही महात्माका रचा हुआ पूर्वोक्त नाम करके प्रश्नोत्तररूप भंडार हमने छपवाया है । इस ग्रंथकी विशेष प्रशंसा लिखनी व्यर्थ हैं, क्योंकि ग्रंथकर्ताकी विद्वत्ता और न्यायनिपुणताका डंका सर्वत्र बज रहा है, केवल इतनाही लिखा जाता है कि सन १८९३ में जब मीस्टर वीरचंद राववजी गांधी चिकागो (अमेरीका) की धर्म्मसमाजमें इन महात्मा के प्रतिनिधी होकर गये थे, तब समय भी गांधीके कहनेसे तथा चिकागो धर्म्मसमाजकी प्रेरणासे इन महात्माने तत्व पुंजरूप यह ग्रंथ निर्माण किया.. चिकागोनिमित्त और चिकागो के प्रश्नोंके उत्तर इसमें होनेसे ग्रंथकर्त्ताने इसका नाम 'चिकागो प्रश्नोत्तर' रग्ब्वा | इसमें ईश्वर कर्त्ताका खंडन, अन्य मताविलंबियोंने कैसा २ ईश्वर माना है, जैनी कैसा ईश्वर मानते हैं, कर्म्म क्या है, जीव कर्मका क्या संबंध है, आत्मामें ईश्वर होनेकी शक्ति है वा नहीं, जीव मोक्षपद पुनः संसारमें नहीं आता, पुनर्जन्मकी सिद्धि, ईश्वरकी भक्तिका फायदा, मृर्तिपूजन, मनुष्य और ईश्वरका क्या संबंध है, साधु और गृहस्थीका धर्म, धार्मिक और संसारिक जीवनके नीतिपूर्वक लक्षण, इत्यादि अनेक अतीव उपयोगी विषयोंका समावेश इसमें किया है. ग्रंथकर्ताकी फोटो भी इसमें हैं.. इतनी अपूर्वता होनेपर भी किंमत ३. १ है. हमारे यहांसे " श्रीआत्मानंद जैन पत्रिका " प्रतिभास हिंदुस्तानी भाषामें प्रकट होती है. वार्षिक मूल्य ३. १। है. जसवंतराय जैनी, लाहोर. दरेक जैन श्वेतांबर तथा दिगम्बरबेउने अवश्य रखवालायक. श्रीभक्तामर स्तोत्र तथा श्रीकल्याण मंदिर स्तोत्र. · श्रीमन्मानतुंगाचार्य विरचित भक्तामर स्तोत्र मूळ संस्कृत तथा ते नांचे गुजराती भाषामां कवि-तामां छे, अने तेनी नीचे हिंदुस्तानी गद्य भाषान्तर छे, तथा ते नांचे गुजराती सरळ नोट आपेली छे. बाळबोध मोटा टाईपथी जाडा कागळ उपर छपावीने पूंडु पाकुं छींटनुं सळंग नाखेलुं छे. हाल तेर्नी त्रीजी आवृत्ति बहार पडेली छे, ते तेना उपयोगीपणानो खास पुरावो छे. घणीज थोडी प्रत शीलक छे, ताकीदी मंगावो. किंमत चार आना, पोष्टेज जुदुं. उपरना जेवुंज कल्याणमंदिर स्तोत्रनुं पुस्तक पण तैयार छे. तेनी विजी आवृत्ति बहार पडेली छे. ते पण गुजराती कवितामां तथा गुजराती गद्य भाषान्तर अने नोट साथे बालबोध टाईपथी छपावेलुं छे.. किंमत चार आना, पोष्टेज जुदुं. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat उपरनां बेउ पुस्तको गुजरात उपरांत आखा हिंदुस्तानमां उपयोगमां आवे एवांछे, केम के ते बाळबोध ( देवनागरी ) लिपिमां छपावेलां है. प्रसिद्ध कर्त्ता हरजीवन रायचंद शाह. मु० आमोद, जि०भरुच, www.umaragyanbhandar.com
SR No.034560
Book TitleMumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference Office
PublisherJain Shwetambar Conference Office
Publication Year1904
Total Pages402
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size41 MB
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