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________________ (३) छप्पनीआ जेवा दुष्ट दुकाळने अंते लाखो मनुष्यो लाचार बनी गया छे. दुकाळ अने राक्षसी मरकीने लीधे हजारो टळवळीने मरी गया छे, अने तेने योगे सेंकडो नानां बाळको माबाप विनानां रखडतां थई गयां छे, ते जोईने मुंबईना केटलाक दयाळु ग्रहस्थोना मनमां दयानो अंकुर उभो थयो, के कीडीथी लई तमाम मुंगां प्राणीओने माटे ठेर ठेर पांजरापोळो जोवामां आवे छे, अने मनुष्य जेवा उत्तम देहने माटे कंईज नहीं! मनुष्यदेह ए मुक्ति मेळचवानुं साधन छे, अने ते देह मेळववाने देवताओ पण उत्सुक छे, तेवा उपयोगी देहने माटे कांईपण साधन नहीं, ए केवी नवाईनी वात! मनुष्यप्राणांना निर्वाहने माटे साधन कर, ए आपणी पहेली फरज छे. मनुष्य जेवी उत्तम देह बचाववी, ए अति पुण्यन काम छे. परदेशी पादरी लोकोए मनुष्य माटेनी आवी पांजरापोळ, जेने अंग्रेजीमा ओर्फनेज कहे छे ते कोई कोई ठेकाणे स्थापेली छे; पण दिलगीरीनी साथ कहेवू पडे छे के, तेमां जवाथी बाळकोना जीव बचे छ तो खरा, पण पोतानो स्वधर्म तजी विदेशी ख्रिस्तीधर्म तेमने ग्रहण करवो पडे छे. हिंदु हिंदु मटी जाय छे; जे धर्मने माटे आपणे आटलं अभिमान धरावीए छीए, जे धर्मना रक्षण माटे आपणा देशना योद्धाओए पोताना लोही रेड्यां छे, ते धर्म तजी विदेशी मांसाहारीनो धर्म तेमने पाळवो पडे छ; अने एटला उपरथीज ते दयाळु ग्रहस्थोए मुंबईमां मारा पायाउपर एक अनाथाश्रम खोल्यो छे जे 'धी लेडी नार्थकोट हिंदुओर्फनेज' ना नामथी ओळखाय छे, त्यां हाल छोकराछोकरी मळीने आशरे सवा सो छे. ब्राह्मण, वाणीआ, जैन, लुवाणा विगेरे तमाम हिंद जातिनां बाळको त्यां छे. तेओने खान, पान अने वस्त्र मळे छे, विद्याभ्यास कराववामां आवे छे; धर्मनी केळवणी पण पोताना धर्मपरत्वे हमेशां आपवामां आवे छे, अने वेपार, रोजगार अगर हुन्नर काममा प्रवीण थया पछी पोतानुं गुजरान सारीरीते चलावी शके, त्यारेज तेमने त्यांथी मुक्त करवामां आवे छे. आवा एक उपयोगी खाताने एटले मनुष्यमी पांजरापोळने मदद करवी, ए दरेक जीवदया प्रतिपाळ जैननी धार्मिक फरज छे. खरा धर्मरागी जैन पोतानी श्रद्धा प्रमाणे आ खाताने मदद करवा ना नहीं पाडे, एवी आशाथी आ नम्र अरज करवामां आवी छे. आ खाताने मदद करनार माणसने जीवतदान, अन्नदान, वस्त्रदान, अने विद्यादानवें महत् पुण्य प्राप्त थाय छे, एथी विशेष पुण्य बीजुं कयुं ? गमे तेटली नानामां नानी बक्षीस तेमां कबुल करवामां आवे छे. अत्रे पधारेला दरेक संभावित ग्रहस्थने खास विज्ञप्ति करवामां आवे छे के, तेओए कृपा करीने आ खातानी मुलाकात लेवी, अने ते खाता विषे तमाम ग्रहस्थोने वाकेफ करी जेटली बने तेटली मदद आपवी अने अपाववी. ए खातानुं मकान ग्रांटरोड उपर पवन पुलनी पासेज छे." ते पछी रीसेप्शन कमीटी तरफथी रुपिया एक सो, बाबु राय बद्रीदास बहादुर तरफथी रुपिया पचीस अने मी. मनसुखभाई तलकचंद तरफथी रुपिया पचीस आपवा जाहेर करवामां आव्यु हतुं. ते उपरांत बीजाओ बोलवा जता हता, पण मी. परमार तथा मी. मोहनलाल पुंजाभाई तरफथी सुचना करवामां आवी हती के जेओने रुपिया आपवाना होय, तेमणे मी. हेमचंद अमरचंदने लखी मोकलवं. ते पछी ए बाळकोने बहार लई जवामां आव्यां हतां. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034560
Book TitleMumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference Office
PublisherJain Shwetambar Conference Office
Publication Year1904
Total Pages402
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size41 MB
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