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________________ (१९०) ठराव १७ मो. -00-0 . सेिप्शन कमीटीना प्रमुख शेठ वीरचंद दीपचंद सी. आई. ई. नो मानवामां आवेलो उपकार. कलकत्तावाळा बाबु राय कुमारसींगे रीसेप्शन कमीटीना प्रमुख शेठ वीरचंद दीपचंद सी. आई. ई. नो उपकार मानवानी दरखास्त रजु करी, तेने एवलावाळा मी. दामोदर बापुसाए टेको आपतां नीचे मुजब भाषण कर्यु: ____ "सभ्य गृहस्थो, आपणा मानवंताशेठ वीरचंद दीपचंद सी. आई. ई. रसेिप्शन कमीटीना प्रमुखनी, एओ साहेबे बजावेला कार्य बदल आभार मानवानी जे दरखास्त आप समक्ष मुकाई छे, तेने ९ घणा उमंगसाथे अनुमोदन आपीने कहुं छु के, ए मानवंता साहेबे जैनकामनी जे अमुल्य सेवा बजावी छे, तेथी आपणने ए साहेबे बहु आभारी कर्या छे, अने एवा नररत्न आपणी कोममां छे, तेथी आपणे घणा मगरूर छीए. एक कविए कहुं छे के: शैले शैले न माणिक्यं मौक्तिकं न गजे गजे । साधवो न हि सर्वत्रं चंदनं न वने वने ॥१॥ एटले, प्रत्येक हस्तिना मस्तकमां मोती रह्यां नथी, तथा दरेक पर्वतना सीरमां माणेक मळी आवतां नथी, तेमज हरेक वनांतरे चंदननां वृक्ष मळतां नथी, तेम साधु पण प्रत्येक जगे जगे मळता नथी; तेज प्रमाणे आवा मानवंत पुरुषो पण विरलाज होय छे अने एओनुं वर्तन साधु प्रमाणेज परोपकार करवानुं होय छे. कारणके 'परोपकाराय सतां विभूतयः' एटले साधु पुरुषो बीजा उपर उपकार करवामांज तत्पर होय छे; ते प्रमाणे आ आपना मानवंता राष्ट्रहैतेषी संते आपणापर उपकारामृत सिंचन करी, आखी जैनकोमने आभारी करी छे. पोतानी सीत्तेर वर्षनी वृद्धवये शांतता अने समाधानीथी वखतनो उपभोग लेवानो हक छोडीने, जैनकोमना सारा माटे ते माननीय पुरुषे, तरुण उमेदवारथी पण न बनी शके एवी अथाग मेहेनत तथा दूरदर्शित्वपणुं वापरीने जे कामगिरी बजावी छे, ते प्रत्येक माणसने दाखलो लेवा जोग थई पी छे. मुंबईमां मळेली आ बीजी जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्स एटली फतेहमंद उतरी छे, के तेनी यादगीरी प्रत्येक माणसना हृदयमां सोनाना अक्षरोथी लखवा योग्य थई छ; अने आ अप्रतिम मेळावडानुं बहूतासीश्रय आपणा रीसेप्शन कमीटीना प्रमुख साहेब तरफज छे. ए साहेवे तरुण माणसोए समाज तथा ज्ञात विषे केवी रीते महेनत लईने काम करवू, ए बदलनो सरळ अने उपयोगी धडो बधाओने देखाडी आप्यो छे. एओ साहेबे करेला अथाग श्रम अने महेनतनो बदलो वाळवाने आपणी पासे शब्द के साधनो वगरनुं बीजं कांईपण साधन नी, अने तेथी आपण आपणा पूर्ण उमंगथी अने उल्लासथी आनंद साथे एओनो आभार मानीए छीए; अने हुं वाबु साहेबे मुकेली दरखास्तने अत्यंत प्रेमपूर्वक अनुमोदन आपीने शेठ वीरचंदभाईनु Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034560
Book TitleMumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference Office
PublisherJain Shwetambar Conference Office
Publication Year1904
Total Pages402
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size41 MB
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