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________________ (१७१) अथवा तालुकाना गृहस्थो मन उपर लेशे, तोज बनी शकवानुं छे. जेम शेर्बुजानुं गुजरातः तरफथी काम थाय छे, तेम शिखरजीनुं गुजरातनिवासीओथी थई शकवानुं नथी, अथवा शेजूंजानुं कलकत्तानिवासीओथी थई शकवानुं नथी. ते स्थानिक गृहस्थोथीज पार पडी शके छे; तेमां कोई मोटी बाबत होय तो अलबत कॉन्फरन्स अथवा मोटो समुह भेगो थयो होय त्यां निराकरण थई शके छे; पण तेवीज आवश्यकता तो कोईकज वखत नीकळी आवे छे. वधारे ध्यान खेंचनारो तो चालु वहीवट रहे छे. आ फक्त जैनसमाजनी स्थिति सुधरवा साथे थशे. खरं कहेतां जैनोद्धार थशे, त्यारेज बीजा उद्धारो तेनुं अनुकरण करशे. हवे बीजी एकज बाबत रही छे ते ए छे के, हाल कलकत्ता सरकार आगळ एक ऐतिहासिक जुना मकानना संबंधमां एक बील रजु थयेलं छे, तेनो खरडो में वांचेलो नथी, पण तेमां आपणां देवालयोनो समावेश न थाय ते जोवानुं छे. सरकारनी सारी भली लागणी छतां आपणी धर्मक्रियाओमां, तेमनी कोईपण जातनी सामेलगीरी आपणने अनुकुळ थवानी नथी; माटे तेमां आपणां देवालयोनो कोईपण प्रकारे समावेश थतो हशे, तो ते संबंधमां आपणे दरेक गामी विनयसिहत पण मक्कमपणे सरकारने दलीलो जाहेर करवानी जरुर रहेशे." जुनागढवाळा मी. दोलतचंद पुरशोत्तम बरोडिया बी. ए. नु भाषण. "महेरबान प्रमुख साहेब अने सद्गृस्थो, मारा भुरब्बी शेठ लालभाई दलपतभाईए जे दरखास्त करी छे, तेने टेको आपवाने माटे महेरबान प्रेसिडेन्ट साहेबे मने आज्ञा करी छे, तो ते विषे आप साहेबोनी हजुरमा जे बे बोल कहेवाना छे, ते कहेवानी रजा लडं छु. राजीमतिं यः प्रविहाय मोहं, स्थितिं चकारापुनरागमाय । सर्वेषु जीवेषु दयां दधानस्तं नेमिनाथं प्रणमामि नित्यम् ॥ जे बावीसमा तीर्थकर श्री नेमिनाथ भगवान् राजीमति प्रत्येनो पोतानो मोह तजीने मोक्ष स्थितिने पाम्या, तथा जे नेमिनाथ भगवान् सर्व जीवउपर दया राखे छे, तेमने हुं हमेशां नमस्कार करुं छु. __ अहो प्रिय बांधवो! ज्यां ज्यां आपणा तीर्थकरोनां कल्याणिक थयां छे, एटले के ज्यां ज्यां तेमनो जन्म दिक्षा केवळ मोक्ष आदि थयां छे, ते ते स्थानोने तीर्थ मूर्तिओ कहे छे. चौत्रीस अतिशय विराजमान तथा पांत्रीस गुणयुक्त वाणीए शोभमान आ अवसर्पिणीना पहेला तीर्थकर श्री अष्टापद पर्वत उपर मोक्ष गया छे. चोवीसमा तीर्थकर श्री महावीर स्वामी अपापापुरी अथवा पावानगरीए मुक्तिपद पाम्या छे. बारमा अरिहंत श्री वासुपूज्य स्वामी चंपानगरीमां सिद्धिपद पाम्या छे, अने बावीसमा तीर्थंकर श्री नेमिनाथ जुनागढनी पासे आवेला श्री गीरनार पर्वत उपर मोक्ष पाम्या छे, तथा बाकीना वीस तीर्थकरो बिहार प्रांतमां Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034560
Book TitleMumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference Office
PublisherJain Shwetambar Conference Office
Publication Year1904
Total Pages402
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size41 MB
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