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________________ (१५७) 'जबलपुरवाळा लाला छुनमलजी गुलेछाना हिंदी भाषणनो सार. दोहा. नमो देव अरिहंतको, पुनि कीजे कछु काम; स्वतः सिद्धि सो होत है, कहां विघ्नको नाम. सवैया. आत्मज्ञान प्रकाश विना खद्योत समान भया टिमकारा, तापर मान कहा करना दिन चार गये फिर व्हे अधियारा; अतिवल्लभ प्राणप्रिया जगमें निज स्वारथका सबही संसारा, चित्त शांत बिना संतोष कहांकर शांत हहय सुख होय अपारा. आजे महा आनंद अने उत्सवनो दिवस छ, के जेनी शोभानुं हुं वर्णन करी शकतो नथी. घणाक जैनबांधवोए दूर दूरना देशांतरोथी पधारीने आ जैन श्वेतांबर महामंडळने मुशोभित करेल छे, अने श्री संवनी नठारी रीतिओ, जीर्णमंदिरोनो उद्धार, प्राचीन ग्रन्थोनो शोध, धर्मनी उन्नति, जीवदया अने आ मंडळ सदैव-हमेशां कायम रही शके, तेवा उपायो माटे तत्पर रहेल छे. भाईओ! हूं एक अज्ञान, अल्पबुद्धि, आप समस्त बांधवोनो सेवक छु, अने आ मारो पहेलोज दिवस छे के आप महाशयोनी सेवामां कई प्रार्थना करुं छं. आशा छे के कई पण अविनय अथवा कदाच भूल थाय, तो आप साहेबो क्षमा करशो. अमारे त्यां विशेषे करीने मारवाडी लोकोमा चाल छे, के छोकरा छोडीना विवाह प्रसं. गमां तमाम रीति अने देव पूजनादि, अन्यमतावलंबीओथी जारी छे, अने अन्यमतनाज ज्योतिष ग्रंथोथी मुहर्त वगैरे जोवामां आवे छे. ए महा शरम अने पश्चातापनो विषय छ, के आपणो जैनमत के जेना आशयथी अढार पुराणो, व्याकरण, ज्योतिष, न्याय अने विज्ञानना ग्रंथो अन्यमतावलंबीओए बनाव्या छे, अने आज सुधी तेओनाज आश्रय उपर चाली रहेल छे, ते छतां पण आपणे तेओना आश्रय उपर चालीए, अने कुदेव ( गणपति, क्षेत्रपाल, गोत्रजदेवी, अग्नि वगैरे) ने पूजीए, ए केटला शोच ने विचारनी वात छे. ते (ब्राह्मण ) लोको बीजा ( मिथ्यात्व ) मतना पाळवावाळा आपण लोकोथी एटले सुधी द्वेषभाव अने घृणा ( निंदा) करे, के ते आ नीचे लखेला पूर्वार्द्धथी प्रकट थाय छे:-' हस्तिना ताड्यमानोऽपि न गच्छेत् जैनमंदिरे'. भावार्थ ए के, हाथी मारवा पाछळ पडे ने प्राणनी हानि थाय तो भले, पण प्राणने बचाववा माटे पण जैनमंदिरमा पेसवु नहि ! हे स्वधर्मीभाईओ! आटलो बधो द्वेषभाव राखवा छतां पण आपणे फरी ते लोकोना पंडितोना उत्तम व्यवहार करीए, अने विवाह तथा बीजा संसारिक व्यवहारोमां आपणा देवोनी स्थापना न करतां, तेओना बतावेला कुदेवोनी स्थापना करीए अने पूज्यपणे मानीए छीए. जैनशास्त्रोमां अभयदान, सुपात्रदान अने अनुकंपादान कहेल छे, तेओने छोडीने बाकीनां जे दान छे, ते जैनीओने बीजा मतवाळाओने देवा माटे साफ मना करेल छे. २५ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034560
Book TitleMumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference Office
PublisherJain Shwetambar Conference Office
Publication Year1904
Total Pages402
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size41 MB
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