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________________ (१५४) जायछे, जेम आथ' मन पसंद नहीं थवाथी तमारुं आखं वर्ष बगडे छे; तेम अणगमत जोडांओने वगर विचार्ये एकदम परणावी देवाथी, तेओर्नु बधू पाप तमारे माथे छे एम हुँ हिंमतधी कहीश. संसारसुधारा तरफ चाह नहि धरावनाराओमां रडवाकुटवाना संबंधमां मरदो करता स्त्रीओ वधारे निर्लजपणुं बतावेछे. नेक बहेनो, तमो भरबजारमा वाघरणोनी माफक उघाडे छोगे कुटो छो, ते बहुज धिक्कारने पात्र छे. आपणा धर्मनां पवित्र फरमानोमां पण ते शास्त्र विरुद्ध जणावेलुं छे; तेम अमर्यादपणे कुटवाथी तमारा शरीरने तमो भारे नुकसान पहोंचाडो छो, अने हमेलवाळी स्त्रीओने तो सौथी विशेष दुःख सहन करवू पड़े छे. ____ चार दिवस अगाउ एक नाना पक्षीने माटे पायधुनी उपर एक जैन झवेरीए भारे रगझग करी तेने पांजरापोळमां छोडाव्यु हतुं, ते बहादुर पुरुष माटे मने मान छे; परंतु एक चौद वर्षनी निराधार बाळकी रांडे छे, त्यां बीजा हाथउपर मारा निर्दय श्रावकभाईओ लाडु उडावे छे; ए शुं ओछु शरमावनाएं छे ? जैन भाईओ! तमे दहाडो बंध करो. दहाडामां तमारु सत्यानाश गयुं छे. एक माणसने कोई सगुं नथी होतुं, तथा पैसा नथी होता, तोपण न्यातवाळाओ तेना उपर दबाण करे छे के “दहाडो कर, नहि तो तारं नाक कपाई जशे." तेनुं घर बार वेचावी, अगर कोई निराधार विधवा होय, ते तेनी भविष्यनी जींदगीनु साधन. कुचा तरीके गणाता एक बे दागीना होय ते वेचावी दहाडो कराववामां आवे छे. आवी स्थितिमा जो कोई युवान पोतानी नजीवी मीलकत उपर आधार राखी लग्न करी, संसारसुख भोगववानी आशा राखतो होय छे तो, तेनी जींदगी आखी रद जाय छे अने मरण पाछळ जमणवार करवा उकेरनार तेना सगाओ पासे जो ते मदद माटे जाय छे, तो तेओ पण एक पाई आपता नथी. सेंकडो जैनो आवा खर्चथी पायमाल थई गया छे, अने आपणी उजळी मातवर कोम दिवसे दिवसे अधम गतिने पहोंचे छे. साधारण रीते एक सबळो, नवळा साथे बेसवा ना पाडेछे. त्यारे एक कोमळ कन्याने वुट्टा साथे परणाववी ते शुं ओछु खेदकारक छ ? न्यातना आगेवानोने शरम छे, के तेवां कार्योमा हाजरी आपी हलका कामने उत्तेजन आपे छे. आवा जैनो शुं दयाळु कहेवाय ? बहादुर जैन योधा मरहुम मी. वीरचंद राघवजी गांधीए पोताना बापनो दहाडो कयों नहि हतो; अने रडवाकुटवा आवनार स्त्रीओने नवकार मंत्र गणवा सुचना करी हती. एवा वहादुर वीरलाओने खरेखर मान घटे छे; तेनीज माफक मारा आ मित्र लालने पण पोतानी मा पाछळ दहाडो नथी कर्यो. _ मरण पाछळ जमण करवामां धर्म माननारा अणसमजुओ! हवे ते वखत वही गयो ठे अने प्रकाशित जमानो आव्यो छे, माटे ते प्रमाणे वर्तवानी जरुर छे. जेओ आ कॉन्फरन्सने जीवती राखवा ईच्छता होय तेओए अत्रे सोगंद लेवा जोईए के. तेओ पोतानी बहेनो अने दीकरीओने वेचशे नहि, तेम मरण पाछळ जमणवार करशे नहिं अने एवां बीजां कार्योमां भाग लेशे नहि. आवा खोटा चालो दुर करवानी आपणने घणी जरुर छे. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034560
Book TitleMumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference Office
PublisherJain Shwetambar Conference Office
Publication Year1904
Total Pages402
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size41 MB
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