SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 263
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १३८ ) अरसपरस मदद आपी शकीए. दरेक खातांओ केवी रीते चाले छे, तेनो दाखलो लई शकीए. ते खाताओ उपरथी आपणी वस्तीमां केळवणी केवी रीते वधेछे, अने तेमां केटलो वधारो करवानी जरूर छ, विगेरे बाबतो, के जेथी आपणी कोमनी अने धर्मनी उन्नति थई शके ते आपणने मालुम पडशे, अने भविष्यनी प्रजा माटे पण एक अमूल्य नोंध आपणे मुकी शकीशु. ____भाईओ। डीरेक्टरी बनाववानुं काम काई सहेर्नु नथी. ए काम पाछळ शरुआतमां तो मोटी रकम खर्चवानी जरुर पडशे; पण एक वखत ए काम शरु थया पछी, ते मुश्केल पडशे नहि. आटलां कारणोथी मी. भगुभाईए जे दरखास्त मुकीछे, तेने हुं वधु अनुमोदन आपुंछु अने आशा राख्छु के, तमो पण तेमां सामेल थशो." उपर प्रमाणे अनुमोदन मळ्या पछी, आ दरखास्त सर्वानुमते पसार थई हती, अने श्री जीनेंद्र भगवाननी जय बोलावी सभा आवती काल उपर मुलतवी राखी, सभाजनो विखरावा मांड्या हता. छपी लेवडाववा माटे प्रतिनिधीओने आमंत्रण. वीजे दिवसे सवारे साडा सात वागेथी अडधा अडधा कलाकने अंतरे, पंजाब, रजपु. ताना, मध्यहिंदुस्तान, काठीआवाड, दक्षिण अने सुरत अमदावादना प्रतिनिधीओने, फोटोग्राफ लेवडाववा सारं हाजर रहेवानुं जाहेर करवामां आव्यु हतुं. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034560
Book TitleMumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference Office
PublisherJain Shwetambar Conference Office
Publication Year1904
Total Pages402
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size41 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy