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________________ ( ११०) आखी जींदगीने व्यर्थ गुमावीए छोए. ए. विपे तेनो जरा पण भविष्यना परिणामनो ख्याल करता नथी. "टोपे टीपे सरोवर भराय छे, ने कांकरे कांकर पाळ बंधाय छे." केटलाक माने छे के आपणी हालनी केळवणीनो दोष छे, पण तेम नथी; आपणी लांबा वखतनी खराब वर्तणुंक तथा कुछंदी लोकोनी सोबत, ते परिणाम छे. दाखला तरीके महोमेदन राजाओना वखतमां अकबर बादशाहना राजमां हीरविजयसूरी महाराजे, छ महिना सुधी तेना राज्यमा जे दया पाळवानां फरमान काढेलो, ते हजु सुधी पण पुरावा तरीके हयात छे.' (जोसभेर ताळीओ) वैद्य मगनलाल लालचंदनुं भाषण. मारा स्वामीभाईआ! आपणने सातसो वर्षे भेगो थवानो आजे प्रसंग मळ्यो छे ते खुशीनी वात छे. हेमचंद्राचार्य पछी हारविजयजीए विजय वावटो फरकाव्यो हतो, अन ते पछी आजनी कॉन्फरन्सनुं मान मी. ढहाए मेळवीने आपणने कृतार्थ करेला छे. आजनो विषय 'अहिंसापरमोधर्म:'नो छे. आपणुं कर्तव्य छे के हिंसा करवी नहीं. आ जगत् अनादि छे अने हमेशां चालु छे. आपणो आत्मा अने बीजानो आत्मा जुदो नथी. विश्वमा रहेला जीव अने देवताना जीवने जाववा मरवानी आशा एक सरखी छे, माटे प्रत्येक जीवनुं रक्षण करवू ए नवु शीखवानुं ना. अहिंसानो विषय गहन छे, अने वधारे हाल एटलुज कहेQ छे के पाश्चिमात्य सुधारानी जे केटलीक बदीओ आपणामां दाखल थई छे, ते काढी नाखवी जोईए. कॉड लीवर ऑईल ( माछलीना तेल ) नो उपयोग करीए छीए, ए शास्त्र विरुद्ध छे. जीवडानो आत्मा अने मनुष्यनो आत्मा एक सरखोज ले. आपणे कॉड लीवर ऑईल नामनी दवानो बिलकुल उपयोग नहीं करवो जोईए; अने अहिंसानो झुंडो नरम पडी गयो छे, छिनभिन्न थई गयो छे, तेनो पुनरोद्धार करवा माटे जरुर विचार करवो जोईए. आ कॉन्फरन्स तरफथी मोटा उपदेशको पेदा करवानी जरुर छे. आपणा प्राचीन मुनिओ अनार्य मुलकोमा जई जे प्रमाणे उपदेश करता हता, ते मुजब जीवदया माटे, उपदेशको राखी बोध कराववो जोईए छे. पंजाबवाळा लाला ताराचंदजी, हिंदी भाषामां भाषण. भाषण कर्ताए जैन मुनी महाराजो तरफथी दररोज जीवदया विगेरे गुणोना संबंधमा करवामां आवता उपदेशो ध्यानमा लई, तीर्थकरे परूपेलां शास्त्रोनां मुख्य फरमानो जेमां जीवदयाने खास समाववामां आवेली छे. ते उपर ध्यान राखी जीवदया तरफ तन, मन अने धनी ध्यान आपवा अरज करी हती, अने पंजाबना, मारवाडना अने गुजरातना जैनोने पोतानां वडीलोनां कर्त्तव्योनी नकल करवानी खास भलामण करी हती, अने छेवटे श्री आदीश्वर भगवाननी जय बोलावी पोतानुं बोलq खलास कयु हतुं. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034560
Book TitleMumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference Office
PublisherJain Shwetambar Conference Office
Publication Year1904
Total Pages402
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size41 MB
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