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________________ (१०८) हालमा घणी पडती दशामां छे, तोपण तेनां प्राचीन खातां संपूर्ण जीवदयानी प्रवृत्तिनी टोच उपर दुनियाना बीजा देशो करतां छे, अने ते उपरथी ईग्लांड तथा अमेरिकामां आवां खाता खुलेलां छे, जेवां के " वेजिटेरियन सोसाईटी ", " सोसायटी फोर धी प्रिवेन्शन ओफ क्रुअल्टी टु एनीमल्स" वगेरे प्रसिद्ध छे. हिंदुस्तानमां आवां खातां महान् प्रतापी अशोक राजाना वखतमां हतां, ते लेखो जोवाथी साबित थाय छे अने ते पाया उपर पांजरापोळ चाले छे. माटे आपणी जैन कोमना अग्रेसरो के जेओना हाथमां आवां खातां अत्यारे चाले छे, तेओए पोताना हस्तकनो हमेशां चोखो वहीवट राखवो तेनी पूरी जरूर छे; अने शक्तिवाळा प्रमाणिक गृहस्थोनी संख्यानी आवश्यकता छे. आ मोटु खातुं करकसरथी चलावाय अने थोडे खरचे घणो लाभ थाय तोज आपणी धारेली नीमणुंक शुभ परिणामे आवे तथा निर्दोष प्राणीओ सुखी रहे. १. तेमने राखवानी जगा स्वच्छ अजवाळावाळी तथा छायावाळी पसंद करवी जोईए. २. हमेशां स्वच्छ पाणी वासणमां अगर हवाडामां पातुं अने दररोज सदर्ह साफ राखवां. ३. हमेशां जानवरना गजा प्रमाणे घास, दाणो, राब अथवा चारो विगेरे पाचन थई शके तेवां आपवां. ४. सारां जानवरोने चरवा जवा देवां, तथा मांदां जानवरोने हुंशियार माणसनी देखरेख नीचे अंत सूधी दवा तथा मावजत करवी.. ५. हमेशां जानवरनी संख्यानो हिसाब राखवो, तथा तेमांथी केटलां मरण पाम्यां तेनी नोंध राखी मरणY कारण शोधी काढवू. साधारण दरदथी मरेलुं छे, के चेपी दरदी मरेलुछे. ६. जो चेपी दरदथी मरेलु होय, तो तेना समागममां आवेलां जानवरोने एक एकथी ईलायदी जगामां दूर राखवां अने तेना उपर जुदा माणस राखी नोकरी कराववी. चेपी दरदवाळां जानवरनी नोकरी करनारा माणसे घास, दाणो विगेरे जुदां राखवां, तथा तेनां छाण अने कचरो वाळी नांखवो. ७. चेपी दरदनो प्रकार जाणीता माणसने अथवा दाक्तरने बतावी नकी करी, तेने दबाववाने अथवा मटाडवाने योग्य ईलाज लेवा. ८. नवां जानवरो केटलां अने क्याथी आन्यां, तेनी पण नोंध राखवी. ९. तनदुरस्त जानवरोनुं छाण तथा कचरो विगेरे हमेशां गाम बहार खातर तरीके वापर. १०. दर महीने तथा दर वर्षे जानवरोना जुदी जुदी संख्याना पत्रकवार आंकडा नोंधवा. ११. वर्षमां आवक केटली थई, मरी केटलां गयां, ने हालमां हयात केटलां छे, ते उपरथी खरच दरेक जानवर दीठ केटलु आवे छे ते मालुम पडशे, अने करकसर केम करवी ते पण मालम पडशे. १२. घास भरवानां मकान ने दाणा भरवाना कोठार सारी स्थितिमा राखवा जरूरना छे. आ उपरनी टुंक हकीकतथी सदरहु खातांओ दरेक ठेकाणे सारी स्थितिमा लावी शकाय. जानवरो उपर कुदरतनी ए बक्षीस छे के छेवटे मरी जाय छे, त्यारे ते पोतानुं करज चामडां तथा हाडकां अने शिंगडांनी किंमत पेटे वाळी आपे छे. गाय अने भेश दुध तथा घीने सारु Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034560
Book TitleMumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference Office
PublisherJain Shwetambar Conference Office
Publication Year1904
Total Pages402
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size41 MB
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