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________________ (१००) छ अन तेमने अनुमोदन आपवान मारा प्रत्ये सोपेलं . आश्रममांधी छूटीने संवर धारण करवानुं आपणा धर्मनुं महा फरमान छे. आपणा धर्म सिवाय अन्य धर्मवाळा सांभळीन अजायब थशे, के आपणे बीजा जीवने हण्या सिवाय, हणाव्या सिवाय तथा बीजो कोई हणतो होय तेने अनुमोदन दीधा सिवाय पृथ्वीपर जे जे हिंसा थती होय अने घातकीपणुं गजरतुं होय, अगर अहरनिश जे वनस्पति आदिनो नाश थतो होय. तेना पापनो काईक अंश प्रत्येक मनुष्यनो जीव तेने वोसरावे नही त्यांसुधी भागीदार थाय छे. बहु उंडो अने महत्वना ए सिद्धांत छे, अने तेनुं यथार्थ तात्पर्य समजवामां न आवे त्यांमुधी बीजाने गळे ते सिद्धांत उतरवो मुस्केल छे; तथापि जैनधर्म जीव प्रत्ये दया पाळवामां केटलो उंडो उतरेल छे, ते तेमां मळी आवती आवी अनेक बीना बतावी आपे छे. ___मळमूत्रने लांबो वखत पडी न रहेवा देवां, पण तेने जेम बने तेम मुकी जमीनपर नांखी सूकावा देवां. तेम नहि थवाथी पाप बंधाय छे, अणसमजु माणसो आ वातने हसी काढे छे. मळमूत्रना पडी रहेवाथी गंधावा मांडे छे अने आ गधावानुं वास्तविक कारण समुमि जीव छे. हाल तेवा सूक्ष्म जीवोनो शोध सूक्ष्मदर्शक यंत्र वडे थयो छे. तेने germs bacilli, bacteria के microbs एवां एवां नामोथी ओळखाववामां आवे छे. दारु करवामां, सरको करवामां, अने झाडपालानों सडो थवामां आवा असंख्य जंतु उत्पन्न थाय छे, अने तेथी एदी चीजो वापरवानी आपणा धर्ममां मनाई छे. __ आपणो प्राचीन धर्म कहे छै, के तमाम पृथ्वी अने वायु जीवथी भरेलां छे. पचीस पचास वर्ष पहेलां आ वात आधुनिक कहेवाता सुधरेला माने एम नहोतुं; परंतु हवे आ वात सर्व मान्य थई पडी छे. घणा रोगनुं कारण समजवामां नहोतुं आवतुं, ते हवे वायुरुपे उडता अनंत सूक्ष्म जीवो अनेक रोगना वास्तविक कारण छे, एम डॉक्टरो अने दुनिया मानवा लागी छे. तेमांना घणाकनी पिछान आपसाहबोने नहि होय, पण एक अद्रश्य जंतुए पोतानुं अस्तित्व तमोने पण साबीत करी आप्युं छे. आखा हिंदुस्तानने तेणे तोबा पोकरावी छे, पृथ्वीना तमाम खंडाने तेणे चोंकावी दीधा छे. अने दुनियांना वैदिक वर्गने हंफाव्या छे, ते महा पलीत प्लेगनो जंतु छे. एवा अनेक असंख्य जातिना जंतु छ, के जेणे माणसनी बुद्धिने आज सुधी दाद आपी नथी. डॉक्टरोने तेवा जंतुआनो घणोज कडवो अनुभव थयो छे, तेमणे पोतानी आवा जंतु विषेनी अज्ञानताथी हजारो दरदीना प्राण खोया छे; पण गयां पचीस वरसमां जंतुओनी माहिती थवाथी अने तेमनाथी बचाववाना उपायो लेवाथी, शास्त्रवत्ताने यशनी प्राप्ति थवा लागी छे. ___सूक्ष्म जंतु सिवाय स्थूल जीवो प्रत्ये श्रावकोनी लागणीनो दाखला आखी आलमने लेवा जोग छे. मांसाहार करनार माणसो पण जनावरपर घातकीपणुं गुजारवानुं नापसंद करे छे, अने ते माटे सरकार पण कायदा बांधे छे. Societies for the prevention of cruelty to animals एवी मंडळीओ स्थपाई छे, अने तेना उत्तेजको अंग्रेज, मुसलमानो अने पारसी जोवामां आवे छे. प्राणीने ठार मारी नाखवु तेना करतां तेने दुःख आपत्रानो Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034560
Book TitleMumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference Office
PublisherJain Shwetambar Conference Office
Publication Year1904
Total Pages402
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size41 MB
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