SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 195
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ७० ) सिरदारहो, झारा परममित्र भाईश्री फकीरचंदजी प्रेमचंदजी ममोई. वाळा जे. पी. आपणे सभारा चीफ सेक्रेटरीसाहेब झने फुर्मायो थो के थाने इण बारांमांय कुछतोबी व्यावहारिक (practical ) सूचना करणी जोग है; पिण झारा समजमें हाल व्यावहारिक सूचनारो बखत आयो नहीं है, इण सबबसुं के अंग्रेजी विद्यासु निश्चे हुवणहार नवा ढंगरी पडछाया झारा चोखळामांय तो अबार संपूर्ण मुग्धावस्थामें हे. तिणमाय भविष्यकालरा भणकारारूप जोबनका उजासरो आरंभ हुय रह्यो है, ओर हाल तो मुग्धावस्थायोग्य काची जवानीरी बिरळी ओर मंद थंडी लेरांमाय आ भावी ढंगरी राजस ओर फूठरी पडछाया मोज मान रही हे !! पिण एक सूचना सारासं कऱ्या बिना रेइजे नहीं. “जेन पाठशाळा, जैन पाठशाळा" आ पुकार म्हे घणीवार घणा ठिकाणे सुणतो आयो हुँ; पण जिण भाषामें आपणा जैनशास्त्ररा द्वादशांग गूंपया हे उण बालभाषामें अच्छीतरे जाणणेवाळा बिलकुल थोडा हे. बालभाषारो कुछतोबी अस्सल ग्यान हुवा सिवाय जैनशास्त्ररो मर्म समजणो अशक्य हे. घणा जिणाने पडकमणो आवे पिण व्याकरणसुद्ध अर्थ जाणणावाळा आखा हिंदुस्थानमें कित्रा निसरसी ? बिनाअर्थ मूंडे पाट करणो मुनासब नहीं. एकवार उच्चार जिके मुंडे बेठ जावे वे निकळणा ओर सुधारणाने बडो कठण जावे. जिस्त्रे संस्कृत भाषा सरकारी कॉलेज तथा हाईस्कृलमें शिकावे उस्त्राजेईज आगे कॉलेजमांय बालभाषा शिकावणारी तजर्वाज कोई रीतसुं व्हे तो ठीक. सिरकार जो बालभाषा भिणावणारी जोखम आपरे ऊपर नहीं लेवे तो बी. ए. री परीक्षामें एक बालभाषारो कागद रखणाने तो नहीं केसी नहीं. सार मुद्दो तो ओ हे के कोई तिमु आपणा युनिव्हरसिटीमांय ( विश्वविद्यालय ) बालभाषारो प्रवेश हुणो चाइजे. इस्त्रे सुजणामें हे के 'झेंडाविस्ट' भाषारो एक कागद एम. ए. रे परीक्षारे बखत रखे हे. पार्शी लोकारो धर्म जिण भाषामें हे उण भाषाने जो इस्त्रेको उत्तेजन दियो हे तो पछे अपां सारा जिणा एकमन्ना हुयने सरकारने केसां तो हने पुरो भरोसो हे के सरकार कोई रीतसुं बालभाषाने उत्तेजन देवेला, बालभाषा लेने झिको विद्यार्थी परीक्षामांय पास हुसी उणवास्ते एक स्कालरशिप रखने भिणीजणावाळाने मोटो भारी टेंको दीनो चाइजे. आ बात तो पक्की ध्यानमें राखजो के बालभाषा आया सिवाय सिद्धांतरो रहस्य हिवडामें उतरणो मुस्कल हे. इण जमानारा साधुमुनिराजने बालभाषारो तो रह्यो पिण संस्कृत भाषारो ग्यान कित्रो रेवे हे सुं आप जाणोईज हो. भिणावणो भिणीजणाबिचे सोरो नहीं, बडो कठण हे. गुरुरा ग्यानरो आधो ग्यान हिवडामांय उतरणो मुस्कल है, इस्त्रे सर जोशुआ फिच्च एम्. ए. एल. एल. डी. केवे हे. ( The truth is that no one can teach the whole, or even the half of what he knows:) श्रीमहावीरस्वामीरे बखत श्रावकारे संपत्तिरो बरणन घणा ठिकाणे चाल्यो है. कोई श्रावक कन्ने एक गोकळ, कोई कने पांच, कोई कने दस. एक गोकळमें दस हजार गायां हुया करे हे. एक गायने रोजरो एक आनो खावणारो पकडियो तो एक गोकळने एक बरसरा सवादोय लाख रुप्या लागे; ओर इण जमानारा अमोलक भागवान मायारा बाबू लारला पैसावाळारा गायांरे चराइमें जावे, तोबी, सिरदारहो, हाल तो थारे पुंजीरी तंत ओर तरावट बारला पिण बखाणे हे, सुं अबे थांरी दानसूरता बिद्या भणावणमें, बिद्याने उत्तेजन देणामें, एखादे मोटे शेहेरमें एखादी तो आपणी हाईस्कूल तथा बोर्डिंगथांपणमाय बतावो. हारी व्यावहा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034560
Book TitleMumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference Office
PublisherJain Shwetambar Conference Office
Publication Year1904
Total Pages402
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size41 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy