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________________ ( ६६ ) जहागिरदार अगर ठाकर ( Baron ) हुतो; कारण कल्पसूत्रमें त्रिशलाने 'क्षत्रियाणी' ठिकठिकाणे कह्यो हे; 'देवी' इस्त्रे ठिकठिकाणे को नहीं. आ लिखी हुई बात म्हे म्हारा एक उजराथी दोस्तकने कीनी. ए दोस्त मम्मोईवाळा हे पिण दिन पंधरे पेला नासकमें मास देडमास रह्या हुता. हमारे नासकमें ए धर्ममें गाढा गिण्या गया और गाढाईज हे. वासु ऊपरकी मिद्धार्थ बदले बात करतां पाण वां झने कह्यो के, ओर हमारा घणा जाताई हमेशा इणीतरे फुर्मावे हे के गोरा लोकांने अपने उपदेस देणारो हक नहीं; कारण म्हे जद सुधायोडा हुता उणबेळा वे डीलऊपर रंग चढावता हुता. इणने म्हे आंधी ओर ओछी स्वदेशभक्ति केवं हं. कर्तव्यकर्मरी (duty ) ऊंची धारणा (conception ) आ निश्छे नहीं है. झिके आगे हुंशियार ओर भागवान था वे अबार दुबळा क्युं हे ओर झिके आगे दुबळा था, वे आज भागवान हुंशियार क्युं हे आ बात अपां हियामें सोचणाजोग हे. 'जेसो बाजे बायरो वेसी दीजे ओठ' इस्त्रे केवणवाळांरी हंसी करणी ओर साचसाच बोलने आपरे जातरा ओगण बोल बतावे उणारे बातांने चिपठ्यामें उड्डाय देवणी आई कर्तव्यकर्मरी ( duty ) कमसल धारणा (conception) हे. पखपाती निजर ओर फाजल श्रद्धा ( superstition ) राखणी ओर नहीं राखणवाळारी ठठा करने भलाई मिळावणी आ पिण कर्तव्यकर्मरी चोखी धारणा नहीं! सिरदारहो, 'संसाररी ऊंची कल्पना' रे बारांमाय म्हे आपने तीन अंतर्कल्पना मायली Embrideas) दोय अंतर्कल्पना कांई हे सुं के दिनी. पेली अंतर्कल्पना तो आ हे के अपां मिनखाभव पायो हे तिके न्यातरी अगर देसरी सेवा करणावास्ते पायो हे. 'संसाररी ऊंची कल्पना' रे बारांमाय दूजी अंतर्कल्पना कांई हे के वा सेवा निष्कपट, पेटाबिना ओर बिचारमुं राच्योडी चाइजे. सेंसाररी (life ) अगर कर्तव्यकर्मरी (duty ) ऊंची कल्पनारे (higl. ideal ) बारांमाय तीजी अंगभूत अंतर्कल्पना अबे आपने ह्ये केतुं हुं. जिस्त्रे आदमी देसरी अगर न्यातरी सेवा जी जी' करने करे पिण वा सेवा थोडी हे उणमुजब आदमी देसरी अगर न्यातरी सेवा निष्कपटाईसुं तथा बिना.पेटा करी तोबी वा सेवा वो एकज बाबतमाय करेलो; पिण जिणसुं आपणा न्यातरो ओर देसरो कल्याण ओर बढपण हुवे वां सारी सगळी बांत्यांमांय आपआपरे ताकद मुजब सेवा करणी आ ईज कर्तव्यकर्मरी ( duty ) अस्सल ओर ऊंची पारख हे. ओर इणमेंईज 'सेंसाररी ऊंची कल्पना'रे बारांमायली तीजी अंतर्कल्पना समावे हे. कर्तव्यकर्मरी ऊंचासुं ऊंची पारख अगर धारणा ( conception ) कद हुवे हे के जद राष्ट्ररी ( nation ) अगर देमरी नीति, सुख तथा बढपण आपणा राजऊपर, आपणा समाजऊपर (न्यातऊपर) ओर आपणा धमऊपर टेंको देने रह्या हे आ बात आदमीरो हिवडरो अंतरजामी रोमरोम पेछाण लेवे. भिणीजणारो अगर शिक्षणरो (education ) उमदा, शिरे ओर चोखो फळ तो ओईज हे. ओ पारखसूरज अगर धारणासूरज जठे ऊग्यो नहीं उठे भिणीजणो ( education) फोगट हुवो. हरएक आदमी आपरे राजारी एक प्रजा हे, समाजरो (न्यातरो) एक अंग अगर अवयव है, ओर कालाइल साहेब के तिणमुजब हरएक आदमी परमेष्टीरो एक सास हे. ( breath of heaven.) सरकारका कायदाकार्नु Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034560
Book TitleMumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference Office
PublisherJain Shwetambar Conference Office
Publication Year1904
Total Pages402
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size41 MB
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