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________________ ( ७० ) हैं तो ये देव परमात्मा हैं ऐसा किसी तरह साबित नहीं होता है, देखो— पद्मपुराण प्रथम सृष्टिखंड दक्षयज्ञविध्वंस नामक पंचम अध्याय पत्र ११ वे में सती नामकी अपनी स्त्रीके मर जानेसे महादेवजी शोकातुर हुए हुए चिन्ता करते थे कि वो मेरी स्त्री कहां गई 8, बाद नारदजीने उस स्त्रीकी खबर शिवजीसे कही, तब शिवजीका चित्त शान्त हुआ- देखो नीचेके श्लोक 66 पत्न्याः शोकेन वै देवो, गङ्गाद्वारे तदा स्थितः । तां सतीं चिन्तमानस्तु क नु सा मे प्रिया गता ॥ ९१ ॥ तस्य शोकाभिभूतस्य नारदो भवसन्निधौ । " भार्याप्राणसमी मृता ॥ ९२ ॥ मेनागर्भसमुद्भवा । सा ते सती या देवेश !, हिमवद्दुहिता सा च जग्राह देहमन्यं सा, वेदवेदार्थवेदिनी श्रुत्वा देवस्तदा ध्यान - मवतीर्णमपश्यत कृतकृत्यमथात्मानं कृत्वा देवस्तदा स्थितः ॥ ९४ ॥ सम्प्राप्तयौवना देवी, पुनरेव विवाहिता । एवं हि कथितं भीष्म !, यथा यज्ञो इतः पुरा ॥ ९५ ॥ " 1 ॥ ९३ ॥ भावार्थ- स्त्रीके वियोगसे महादेवजी शोकाकुल हुए हुए चिन्ता करने लगे कि वो मेरी खी कहां गई ९, इत्यादि बयानसे सिद्ध हुआ कि महादेवजी स्त्री उपर बडे मोहित थे, इससे अत्यंत काम विकारी सिद्ध हुए, तथा महादेवजी सर्वज्ञ नहीं थे, क्यों कि नारदजीके कहनेसे अपनी खोका समाचार मालूम किया कि अमुकके घरमें पैदा हुई है, जिसमें किसी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034555
Book TitleMat Mimansa Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykamalsuri, Labdhivijay
PublisherMahavir Jain Sabha
Publication Year1921
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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