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________________ (३) कहते हैं कि अगर सामने हाथी आता हो तो हाथीके नीचे आकर मर जाना अच्छा ..ममर . अपने बचावके लिये भी जैन मन्दिरमें जाना नहीं अच्छा, मैं ऐसा कहना नहीं चाहता कि लोग एकदम अपने धर्मको छोड कर जैन बन जावे अथवा जैन धर्मको बगैरे विचार उत्तम कह देवें मेरा तो इतनाही कहना है कि दूसरे लोग अपने शास्त्रोंकी बाबतोंसे तथा जैन शास्त्रोंकी बाबतोंसे पूर्ण वाकिफ होकर समतारुप त्राजुसे तोल कर धर्मको स्वीकारें और पाये हुए इस मनुष्य जन्मको सफल करें क्योंकि जन्मकी सफलता एशो अशरतमें नहीं है किन्तु सच्चे धर्मको हासिल करने में है असल धर्मांजीवनको जिसने हासिल किया वह जन्म मरणकी धारासे बचकर अनंत सुखका स्थान मुक्ति पदको प्राप्त करता है. और विषयी जन नरको रूलता है, रसलिये मनुष्य मात्रका फर्ज हैकि धार्मिक जीवन बनावे, मगर गोपालकी तरह अपने ही शास्त्रकारों पर विश्वासमें फंसकर अन्य शास्त्रकारोंकी तरफ दृष्टि भी न देवे और देवे तो व्युद् ग्राहित होकर देवें और मेरा सोही सच्चा इस सिद्धांत को पकड कर मिथ्या धर्मसे अपने जीवन को धार्मिक जीवन मान लेवे तो ठीक नहीं, लो अब टाइम बहुत हो गया है इस लिये इस विषयको यचं ही रखते हैं. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034555
Book TitleMat Mimansa Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykamalsuri, Labdhivijay
PublisherMahavir Jain Sabha
Publication Year1921
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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