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________________ ( १२२) क्या यह परमात्माका लक्षण है कि, सौ सौ वर्ष तक भोग भोगते रहना?. जवावमें कहना ही पडेगा कि, कामसे पीडित सामान्य मनुष्यसे भी गिरे हुए कर्त्तव्य करनेवालेमें कदापि परमात्मपना साबित नहीं हो सकता. मत्स्यपुराण:-अध्याय ४५ वा में बयान है किश्रीकृष्ण शिकार करनेको गये. वांचो नीचेका श्लोक" अथ दीर्पण कालेन, मृगयां निर्गतः पुनः । यदृच्छया च गोविन्दो, विलस्याभ्यासमागमत् ॥१२॥" बस-परमात्मा शिकार करे यह असंभाव्य विषय होनेसे या तो यह बात गलत लिखी है या वो परमात्मा नहीं थे इन दो बातोंमेंसे एक बात उनके परमभक्तको भी कबूल करनी ही होगी. मत्स्यपुराण अध्याय ४७ वे में लिखा है कि-श्रीकृष्णने भृगुऋषिकी स्त्रीका यानि शुक्राचार्यजीकी माताका मस्तक काट डाला. देखो नीचेके श्लोक " ऐषा त्वां विष्णुना सार्द्ध, दहामि मघवन् ! बलात् । मिषतां सर्वभूतानां, दृश्यतां मे तपो बलम् ॥ ९७ ॥ तयाभिभूतौ तौ देवा-विन्द्रविष्णू बभूवतः । कथमुच्येव सहितौ, विष्णुरिन्द्रमभाषत ॥ ९८ ॥ इन्द्रोऽब्रवीजही ना, यावन्नौ न दहेत प्रभो ! विशेषेणाभिभूतोऽस्मि, त्वत्तोऽहं जहि मा चिरम् ॥ ९९ ।। ततः समीक्ष्य विष्णुस्तां, स्त्रीवधे कृच्छ्रमास्थितः । अभिध्याय ततश्चक्र-मापदुद्धरणे तु तत् ॥ १० ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034555
Book TitleMat Mimansa Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykamalsuri, Labdhivijay
PublisherMahavir Jain Sabha
Publication Year1921
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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