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________________ ( ८९ ) शिवजीने यह सुना कि विष्णुने मोहनोत्रीका रूप धार के उगाइ करके दैत्यों से अमृत ले कर देवोंको पीला दिया, ऐसा सुनके उस मोहिनीस्त्रीका रूप देखने वास्ते पार्वती समेत भूतगणोंको साथमें ले कर विष्णुके पास आए और विष्णुकी अत्यंत ही स्तुति करो, और विष्णुसे कहा कि आपने मोहिनीका रूप धारण किया था, मैं उसको देखनेकी इच्छा करता हूं, जिस मोहिनीके रूपसे आपने दुर्मद दानवोंको मोहित किया और देवताओंको अमृत पीलाया मैं उसी मोहिनी रूपको देखनेको आया हूं, बादमें विष्णुने कहा कि आप हमारे उस मोहिनी रूपको देखनेकी इच्छा करते हैं तो अच्छा आपको दिखाया जायगा, उस रूपको कामी पुरुष बहुत हो मानते हैं उससे कामदेवका उदय हो जाता है, ऐसा कह कर विष्णु वहां ही अदृश्य हो गए, तब उस समय महादेवेजो अपनी भार्या पार्वती सहित चारों ओर नेत्र चलाय उस रूपको दखनको उत्कंठित होते रहे कुछ देर बाद उपवनमें कि जहां पर चित्र विचित्र कुसुम और लाल वर्णके पल्लव शोभायमान हो रहे थे वहां परमसुंदर एक स्त्री महादेवजोने देखी, उसके नितंब उज्ज्वल रेशमी वस्त्रसे ढक रहे थे, उसमें मेखलाकी लडीयें ऐसी दीप्तिमान् हो रही थीं कि मनुष्यका मन उसकी कडीयोंमें ही उलझ रहे, वो स्त्री गेंद उछाल कर देखनेवालोंके मनको भी इसके साथ ही उछालती थी, गेंदके उपर नीचे उछालन के कारण उसके शरीर के झुकने और उंचे होनेसे उसके दोनों स्तन और मनोहर हार बार बार कम्पायमान होता था, कहां तक लिखें 8, इस स्त्रीकी शोभा बहुत ही वर्णन करो है, ऐसी उस स्त्रीके १२ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034555
Book TitleMat Mimansa Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykamalsuri, Labdhivijay
PublisherMahavir Jain Sabha
Publication Year1921
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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