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________________ मारवाड़ का इतिहास वि० सं० १९३८ ( ई० स० १८८१ ) में जिस समय अजमेर से अहमदाबाद तक की रेल्वे लाइन बनाने का विचार हो रहा था, उस समय महाराज ने गवर्नमैन्ट को उसके पाली होकर निकालने का लिखा और साथ ही यह भी लिखा कि यदि यह सम्भव न हो तो कम से कम उसकी एक शाखा वहां तक अवश्य बनादी जाय; क्योंकि यह नगर व्यापार की एक अच्छी मन्डी है । परंतु रेल्वे के अफसरों ने, खर्च की बचत के लिये, महाराज का यह प्रस्ताव अङ्गीकार न किया और वह लाइन खारेची होकर निकाली । इस पर इसी वर्ष के मँगसिर ( नवंबर) में महाराज ने, राज्य और प्रजा के फ़ायदे के लिये, जोधपुर से पाली होती हुई खारची तक की अपनी निजी रेल्वे - लाइन बनाने का इरादा किया, और रैजीडैंट से सम्मति लेकर राजपूताने के गवर्नर जनरल के एजैंट ( ए. जी. जी. ) को इस बारे में लिखा । उसने महाराज के इस विचार को पसन्द कर अपने ‘पब्लिक वर्क्स' के ‘सैक्रेटरी', रॉयल इन्जीनियर कर्नल स्टील, के मारफ़त दो अंगरेजों को उस लाइन की नाप ( सर्वे ) करने के लिये नियुक्त कर दिया । इस प्रकार नाप ( सर्वे ) हो जाने पर पाली से खारची तक की रेल्वे लाइन के खर्च के लिये ५ लाख रुपये का तनमीना किया गया । अन्त में महाराज द्वारा इस ख़र्च के मंजूर कर लिये जाने पर, वि० सं० १९३९ की चैत्र सुदि १२ ( ई० स० १८८२ की ३१ मार्च ) तक, यह लाइन बनकर तैयार हो गई, और आषाढ़ सुदि ८ (२४ जून ) को, गवर्नमैन्ट के कन्सल्टिंग इंजीनियर और कर्नल स्टील के निरीक्षण कर लेने पर, आवागमन के लिये खोल दी गई । सावन वदि १ ( २ जुलाई ) को 'राजपूताना मालवा रेल्वे' के अफ़सरों से एक संधि हुई । इसके अनुसार खारची ( मारवाड़ जंकशन ) पर माल और गाड़ियों के एक लाइन से दूसरी लाइन पर लेजाने का प्रबंध हो गया । इसके बाद महाराज ने मिस्टर होमै को पाली से लूनी तक की लाइन तैयार करने की आज्ञा दी । मार्ग की नाप (पैमाइश ) होने पर इसका तखमीना ३, ५५,४८२ रुपये हुआ । इसके १. यह स्थान पाली से करीब ७ कोस पर है । २. इनमें से एक इंजीनियर के छुट्टी लेकर विलायत चले जाने पर वि० सं० १६३६ की वैशाख सुदि ३ ( ई० स० १८८२ की २० अप्रेल ) को मिस्टर होम रेल्वे का मैनेजर नियत हुआ । यह वि० सं० १६६३ की कार्तिक बदि २ ( ई० स० १६०६ की ४ अक्टोबर) तक इस पद पर रहा था । ३. बाद में तामीरात (पब्लिक वर्क्स ) का काम भी इसी को सौंपा गया था । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat ४७२ www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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