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________________ मारवाड़ का इतिहास महाराज को मकान आदि बनवाने का भी बड़ा शौक था। इसी से आपने अनेक नए महल, बगीचे, तालाब आदि बनवाएं थे। महाराज ने अनेक गांव भी दान किए थे। १. महाराज के बनवाए किले में के स्थान: तैमहल के पास का और अमृतबाव के ऊपर का महल, चौकेलाव के मकानात और बाग, सभामंडप के ऊपर के डेवढी पर के और आमखास के महल, चामुंडा का मंदिर और फतैपौल से अमतीपौल तक का किले का हिस्सा (यह बिजली से उड़ गया था, इसलिये पीछा बनवाया गया)। किले की पूर्व की अभयसिंहजी की बनवाई बुर्जी पर भी काम शुरू करवाया गया था, पर शीघ्र ही वह बन्द कर दिया गया। महाराज के बनवाए नगर में के स्थानः रानीसर, पद्मसर, गुलाबसागर और फतैसागर के पट्टे ( दीवारें) और उनकी नहरों का विस्तार । बाईजी के तालाव का पैदा ( पहले इसमें पानी बिलकुल ही नहीं ठहरता था)। उस तालाव की दीवारें और ( मसूरिये तक की ) नहर | गुलावसागर पर के राजमहल, मंडी की घाटी का चबूतरा, गंगश्यामजी के मन्दिर के नीचे की पूर्व की तरफ की दूकानें, मंडी में का सायर का मकान और कोतवाली के मकानात । महाराजा के बनवाए नगर के बाहर के स्थानः विद्यासाल, बालसमन्द और छैलबाग के महल, मंडोर में का मानसिंहजी का बड़ा (स्मृति-भवन ), कायलाने के महल और उधर के तखतसागर वगैरा तीन तालाव । बीजोलाई. नाडेलाव, माचिया, जालिया, रामदान का बाड़िया, तखतसागर, भींवभिड़क, मनरूप का बाड़िया, मीठी नाडी, फूलबाग आदि अनेक स्थानों पर के मकानात और मंडोर और कायलाने आदि की सड़कें। इनकी रानी जाडेजीजी ने बालसमंद के पास देरावरज़ी के तालाब पर महल और बाग बनवाया था। इनकी परदायत मगराज ने नागोरी दरवाजे के बाहर और लछराज ने जालोरी दरवाजे के बाहर अपने-अपने नाम पर बावलियां बनवाई थीं, और इनकी माता चावड़ीजी ने तबेले के सामने फतैबिहरीजी का मन्दिर बनवाया था। २. १ थबूकड़ा, २ देईजर, ३ लपा का खेड़ा ( जोधपुर परगने के ) नाथों को; ४ बुडकिया, (जोधपुर परगने का ) भाटों को और ५ पोपावास (जोधपुर परगने का) चारणों को । ૪૬૨ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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