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________________ महाराजा तखतसिंहजी आउवा-ठाकुर कुशालसिंह बरी होकर उदयपुर चला गया । इसके कुछ काल बाद उसका पुत्र देवीसिंह, आसोप ठाकुर शिवनाथसिंह, गूलर ठाकुर बिशन सिंह आदि बीकानेर की तरफ़ चले गए, और उनके वकील उनकी जागीरें वापस दिलवाने के लिये पोलिटिकल एजैंट आदि से सहायता की प्रार्थना करने लगे । परंतु महाराज ने यह बात स्वीकार न की । गदर के समय पूरी सहायता देने के कारण इसी वर्ष ( वि० सं० १९९८ = ई० स० १८६२ में ) गवर्नमैंट ने जोधपुर दरबार को गोद लेने का अधिकार प्रदान किया । वि० सं० १९१६ की आषाढ़ वदि ३ ( ई० स० १८६२ की १४ जून ) को बाभों (परदायतों के पुत्रों ) को रावराजा की पदवी दी गई और इसके बाद भादों वदि १३ ( ई० स० १८६२ की २३ अगस्त) को महाराजा तखतसिंहजी विवाह करने को जयसलमेर की तरफ चले । रावलजी ने ६-७ कोस सामने आकर इनकी अभ्यर्थना की । विवाह हो जाने पर, आश्विन सुदि १ ( २४ सितम्बर) को, बरात जोधपुर लौट आई। वि० सं० १९२० की मात्र वदि ८ ( ई० स० १८६४ की १ फ़रवरी ) को जयपुर महाराज रामसिंहजी फिर विवाह करने को जोधपुर आए। यहां पर आपका विवाह महाराज की दूसरी कन्या और इनके भ्राता पृथ्वीसिंहजी की कन्या के साथ बड़ी धूम-धाम से किया गया । वि० सं० १९२१ की माघ वदि ७ ( ई० स० १८६५ की १९ जनवरी) को महाराजा तखतसिंहजी विवाह करने के लिये रीवां की तरफ़ रवाना हुए। जयपुर पहुँचने पर महाराजा रामसिंहजी ने, नियमानुसार आगे आकर, इनका स्वागत किया । इसके बाद रीवां पहुँचने पर, फागुन सुदि ८ (५ मार्च ) को, महाराज का विवाह रीवां १. वि० सं० १६२१ के सावन ( ई० स० १८६४ के अगस्त) में ग्राउवा - ठाकुर कुशालसिंह का उदयपुर में स्वर्गवास होगया । २. रिपोर्ट मजमूए हालात व इन्तिज़ाम राज मारवाड़ ( बाबत संवत् १६४० ) में वि० सं० १६१६ की भादों सुदि १० ( ई० स० १८६२ की ३ सितम्बर) को महाराज द्वारा जयसलमेर में इस रावराजा पदवी का दिया जाना लिखा है । ( देखो पृ० २४८)। ३. वहां पर महाराज का विवाह केसरीसिंहजी की कन्या से और महाराज - कुमार प्रतापसिंहजी का विवाह छत्रसिंहजी की कन्या से हुआ था । 'तवारीख़ जैसलमेर' में इन विवाहों का संवत् १६१८ लिखा है ( पृ० ८७) । ४५३ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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