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________________ महाराजा मानसिंहजी ५. महाराजा, उनके वंशज और उत्तराधिकारी किसी पर एकाएक हमला नहीं करेंगे । यदि कोई मामला ऐसा आ पड़ेगा तो उसे सुलझाने के लिये पहले ब्रिटिश-गनर्नमैन्ट के सामने पेश करेंगे । ६. राज्य की तरफ़ से सिंधिया को जो कर दिया जाता है वह अबसे ब्रिटिश गवर्नमैन्ट को दिया जायगा और इस राज्य के और सिंधिया के बीच कर-सम्बन्धी सम्बन्ध नहीं रहेगा । ७. महाराजा ने प्रकट किया है कि सिवाय सिंधिया के अन्य किसी राज्य को आज तक कर नहीं दिया गया है; और अब वही कर ब्रिटिश-गवर्नमैन्ट को दिया जायगा । अतः सिंधिया या और कोई दूसरा करका दावा करेगा तो ब्रिटिश-गवर्नमैन्ट उसकी उत्तरदायी होगी। जोधपुर-राज्य ब्रिटिश-गवर्नमैन्ट के कार्य के लिये १,५०० सवार रक्खेगा; और वह ज़रूरत के समय केवल राज्य-रक्षा के लिये सैनिकों की उपयुक्त संख्या देश में रख कर, राज्य की सारी शक्ति से ब्रिटिश सरकार की मदद करेगा। १. महाराजा, उनके वंशज और उत्तराधिकारी देश के कार्यों में पूरे स्वाधीन रहेंगे; और उनके देश में ब्रिटिश-गवर्नमैन्ट का किसी प्रकार का दखल नहीं रहेगा। १०. यह सन्धि दिल्ली में की गई, और इस पर मि० मैटकाफ और व्यास बिशनराम तथा व्यास अभैराम के हस्ताक्षर और मुहरें हुईं । आज से ६ सप्ताह के भीतर, इस पर गवर्नर-जनरल के और राजराजेश्वर महाराजा मानसिंहजी तथा युवराज कुंवर छत्रसिंहजी के हस्ताक्षर होकर इसकी प्रतियां एक दूसरे के पास भेजदी जायगी । १, सिंधिया ने ई० स० १८१८ की २५ जून ( वि० सं० १८७५ की आषाढ़ वदि ७) को, अजमेर अंगरेज़ों को दे दिया । इसलिये उसी वर्ष की २८ जुलाई (वि० सं० १८७५ की सावन वदि ११) को सर डेविड ऑक्टरलोनी ने वहाँ जाकर उस पर अधिकार कर लिया। गवर्नमेंट को मेरवाड़े के इलाके पर अधिकार करने में मारवाड़ की सेना ने भी मदद दी थी। यह प्रान्त अजमेर से ३२ मील पश्चिम में है। इसके जोधपुर राज्यान्तर्गत प्रदेश पर ही तत्कालीन कमिश्नर मि० डिक्सन ने नयाशहर-ब्यावर बसाया था। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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