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________________ मारवाड़ का इतिहास आक्रमण किया । इससे जब वह तंग आगई, तब जयपुर के दीवान रायचन्द ने एक लाख रुपये दण्ड के रूप में देकर उनसे पीछा छुडवाया । इस तरह शत्रु से निपट कर जिस समय इंद्रराज, अमीरखाँ और उनके सहायक सरदार लौटकर जोधपुर पहुँचे, उस समय महाराजा मानसिंहजी ने, जागीरें आदि देकर, उन सब का यथोचित सत्कार किया और अमीरखाँ को नवाब का ख़िताब देकर अपने बराबर बिठाया । इसी समय उसे खर्च के लिये नांवे की तरफ के परगनों की आमदनी सौंप दी गई। ___ कुछ दिन बाद माघ ( ई० स० १८०८ की जनवरी ) में अमीरखाँ ने महाराज के साथ की हुई गुप्त-मंत्रणा के अनुसार खर्च के रुपयों के बाबत बनावटी झगड़ा खड़ा किया । इस अवसर पर यद्यपि प्रकट में महाराज ने उसे बहुत कुछ समझाने की कोशिश की, तथापि उसने उस पर ध्यान नहीं दिया और नाराज होजाने का बहाना कर मारवाड़ के गाँवों को लूटना शुरू किया। यह देख सवाईसिंह ने दूत द्वारा अमीरखाँ से बात-चीत चलाई और खर्च के लिये रुपये देने का वादा कर उसे अपनी तरफ़ मिलाना चाहा । नवाब अमीरखाँ भी मामला तय करने के लिये अपनी बाकी सेना को मूंडवे में छोड़ केवल पांच सौ सवारों के साथ नागोर पहुँचा । नगर के बाहर तारकीन की दरगाह में दोनों की मुलाकात हुई। कुछ बातें तो वहीं निश्चित हो गई और कुछ का निर्णय करने और फौज़ के सिपाहियों को उनकी चढ़ी हुई तनखा मिलने का भरोसा दिलवाने को नवाब ने सवाईसिंह से मुंडवे आने को कहा । साथ ही अपनी तरफ़ से दावत का निमंत्रण भी दिया । वि० सं० १८६५ की चैत्र सुदि २ ( ई० स० १८०८ की २६ मार्च ) को पौकरन-ठाकुर सवाईसिंह, मय चंडावल-ठाकुर बख्शीराम, पाली-ठाकुर ज्ञानसिंह और बगड़ी-ठाकुर केसरीसिंह के, एक हजार सैनिक साथ लेकर मूंडवे पहुँचा । अमीरखाँ ने भी उनकी बड़ी खातिर की । भोजन के उपरान्त सब लोग एक शामियाने में इकट्ठे हुए । उसके चारों तरफ़ तोपें लगी हुई थी और उसके पास ही बहुत से सिपाही १. ये रुपये अमीरखाँ को देदिए गए। २. जेम्स बजेस ने अपनी 'क्रॉनॉ लॉजी ऑफ मॉडर्न इन्डिया' में लिखा है:-- ई० स० १८०७ की फरवरी में उदयपुर की कृष्णाकुमारी के लिये जयपुर और , जोधपुर के राजाओं में युद्ध हुआ। इसमें जोधपुर-नरेश मानसिंह ने जयपुर नरेश जगतसिंह को हरा दिया। (पृ० २६०)। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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