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________________ परिशिष्ट-७ मारवाड़ - दरबार- द्वारा दी जानेवाली ताज़ीमों और सरोपावों का विवरण । मारवाड़ दरबार-द्वारा दी जानेवाली ताज़ीमें दो प्रकार की हैं। इकहरी ( इकेवड़ी ) और दोहरी (दोवड़ी ) । जिसे इकहरी ताज़ीम मिलती है, उसके महाराजा साहब के सामने हाज़िर होते समय और जिसे दोहरी ताज़ीम मिलती है, उसके हाज़िर होते और लौटते- दोनों समय महाराजा साहब खड़े होकर उसका अभिवादन ग्रहण करते हैं । बाँह-पसाब—जिनको यह ताज़ीम मिलती है, उसके महाराजा साहब के सामने उपस्थित होकर ( और अपनी तलवार को उनके पैरों के पास रखकर ) उनके घुटने या अचकन के पल्ले को छूने पर महाराजा साहब उसके कंधे पर हाथ रख देते हैं । हाथ का कुरब - जिसको यह ताज़ीम मिलती है, उसके बाँह पसाव वाले की तरह महाराजा साहब का घुटना या दामन छूने पर महाराजा साहब उसके कंधे पर हाथ लगा कर अपने हाथ को अपनी छाती तक लेजाते हैं । ये ताज़ीमें भी इकहरी और दोहरी दोनों प्रकार की होती हैं और उन्हीं के अनुसार महाराजा साहब खड़े होकर आदर देते हैं । सिरे का कुरब-यह कुछ चुने हुए सरदारों को मिला हुआ है, जो दरबार के समय अन्य सरदारों से ऊपर बैठते हैं । इनके भी दो भेद हैं। दांई मिसल के सिरायत महाराजा साहब के दांई तरफ़ और बांई मिसल के बांई तरफ बैठते हैं । परन्तु आजकल आपस के झगड़ों को दूर करने के लिये सरदारों के बैठने के तरीके में सुधार किए जा रहे हैं । सोना - मारवाड़ में जिस व्यक्ति को सोना पहनने का अधिकार मिलता है, वही पैर में सोना पहन सकता है । पहले इस अधिकार के लिये दरबार की तरफ़ से पैर में पहनने का सुवर्ण का आभूषण मिलता था । परन्तु अब ३०० रुपये दिए जाते हैं 1 हाथी - सरोपाव - जिसको यह सरोपाव मिलता है उसे राज्य से कपड़ों वगैरा के सब मिलाकर ७८० रुपये दिए जाते हैं । ६३२ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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