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________________ मारवाड़ का इतिहास रिसाले और पलटन के सैनिकों के वेतन में वृद्धि की जाने के साथ ही उनकी पैन्शन आदि के नियमों में भी उचित परिवर्तन किए गए हैं, उनके रहने के स्थान ( barracks ) दि नए ढंग के बनवाए गए हैं और फ़ौजी पशु-चिकित्सालय ( Veterinary Hospitals ) की भी अच्छी उन्नति की गई है । राजकीय रिसाले और पैदल सेना के पैनशन प्राप्त योग्य सैनिकों की एक दुर्ग-रक्षक ( Fort guard ) टुकड़ी तैयार की गई है और इसे जोधपुर के किले पर पहरे का काम सौंपा गया है । पहले ख़ास तौर पर नियुक्त किए ब्रिटिश सेना के अफ़सर ही दौरे के समय राजकीय सैन्य-विभाग की जांच किया करते थे । परन्तु वि० सं० १९९२ के फागुन ( ई० स० ११३६ के मार्च) से जोधपुर दरबार ने अपना निजका सैनिक मंत्री (Military Secretary) नियुक्त कर लिया है और इससे सैनिक कार्य में अच्छी उन्नि हुई है। इस समय 'सरदार रिसाले' के सवारों की संख्या ६७३, 'सरदार - इनफैंट्री' के जवानों की संख्या ७७२, भारबरदारीवालों की संख्या ८०, दुर्ग-रक्षकों की संख्या १४ और सैनिक बाजे वालों की संख्या ४० है । गत वर्ष सैनिक विभाग पर राज्य के ११,६८,६८७ रुपये खर्च हुए थे । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat ६२६ www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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