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________________ मारवाड़ का इतिहास 'आर्कियाँ लॉजीकल डिपार्टमैंट' की तरफ से इस समय तक अनेक लेखों और पुस्तिकाओं ( pamphlets) के अलावा (१) 'राष्ट्रकूटों ( राठोड़ों) का इतिहास', (२) History of the Rashtrakutas और ( ३ ) 'मारवाड़ का इतिहास' ( प्रथम भाग ) नामक तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । साथ ही सर्व साधारण के सुमीते के लिये 'पुस्तक प्रकाश' की हस्तलिखित पुस्तकों की सूची भी तैयार करली गई है । इस समय इस संग्रहालय (पुस्तक-प्रकाश) में हस्तलिखित पुस्तकों की संख्या करीब ४,५०० है और 'सुमेरपब्लिक-लाइब्रेरी' में की अंग्रेजी, हिन्दी, संस्कृत और उर्दू पुस्तकों की संख्या १४,००० के ऊपर पहुंच चुकी है । इस 'लाइब्रेरी' के साथ एक वाचनालय (Reading Room) भी जुड़ा है, जहां आकर सर्व साधारण जनता पुस्तकों के साथ-साथ अखबार आदि भी पढ़ सकती है। खानों और कला-कौशल का महकमा (Mines and Industries Dept.) इस महकमे की तरफ़ से मारवाड़ में घरू कला-कौशल को उन्नत करने के लिये कम सूद पर कर्ज देने का प्रबंध किया गया है और समय-समय पर प्रदर्शनियों (exhibitions) के द्वारा मी उसको उत्तेजन दिया जाता है । पहले यह महकमा जंगलात के महकमे के साथ था। परन्तु प्रबन्ध की सुविधा के लिये ई० स० १९२९ में यह उससे अलग कर दिया गया। इसके बाद ई० स० १९३० में जागीर के गांवों में प्राप्त होनेवाले खनिज पदार्थों पर मी दरबार का हक मान लिया गया । इस समय यहां की खानों से संगमरमर, साधारण पत्थर, चूने और कली का पत्थर, खड़िया (Gypsum), मेट ( मुलतानी=Fuller's Earth), वुल्फ्रेम (Wolfram) और पैंटोनाइट (Pentonite) आदि निकाले जाते हैं। यहां पर रुई की करीब ३० जिनिंग और प्रैसिंग (Ginning and Pressing) फैक्टरियां हैं, जहां बिनोले से रुई निकाली जाकर उसकी गांठें बांधी जाती हैं। इसके अलावा हाल ही (ई० स० १९३८) में पाली में एक कपड़ा बनाने की नई मिल मी कायम की गई है, जो कुछ ही दिनों में बनकर तैयार हो जायगी । इस समय इस महकमे की आमदनी २,३१,००० रुपये तक पहुंच गई है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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