SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 224
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मारवाड़-राज्य के कुछ मुख्य मुख्य महकमों का हाल अर्थ-सचिव (फाइनेन्स मिनिस्टर के) अधीन महकमेः खज़ाने का महकमा. वि० सं० १९८० ( ई० स० १९२३ ) में मिस्टर जे. डब्ल्यू. यंग ने आकर इस महकमे का आधुनिक ढंग पर प्रबन्ध किया था । इसी से आजकल राजकीय महकमों के आय-व्यय के सालाना बजट चालू वर्ष के ११ महीने के असली और १ महीने के अन्दाजन आय-व्यय के आधार पर तैयार किए जाते हैं और नवीन वर्ष के आरम्भ होते ही प्रत्येक महकमे को, उसके लिये अङ्गीकृत हुए बजट (तख़मीने ) की सूचना भेज दी जाती है । इसके साथ ही हर तरह के सुप्रबन्ध के कारण इस समय मारवाड़राज्य की आमदनी १,३०,००,००० रुपये से बढ़कर १,७०,००,००० के करीब और खर्च ८५,००,००० रुपये से बढ़कर १,२७,००,००० रुपये के करीब पहुँच गया है । इसके अलावा गत १४ वर्षों में ५,००,००,००० रुपया और भी मुख्य कामों ( Capital works ) पर खर्च किया जा चुका है । इसमें का आधा रुपया जोधपुर-रेल्वे और बिजली-घर पर लगाया जाने से राज्य की आमदनी में भी अच्छी वृद्धि हुई है। इसी प्रकार राज्य के स्थायी कोष में १,२५,००,००० की वद्धि की गई है और इस समय की बाजार-दर से राज्य के स्थायी कोष ( State holdings) की रकम ४,००,००,००० तक पहुँच गई है। __राज्य का सारा हिसाब 'प्री ऑडिट' के तरीके पर होता है और राज्य के कुछ खास जिम्मेदार करार दिए हुए ( Self accounting ) महकमों को छोड़कर बाकी सबका हिसाब राजकीय हिसाब के दफ्तर (ऑडिट ऑफिस ) में और महकमा खास के 'फाइनेन्स और बजट' के विभाग में रहता है। इस समय जोधपुर के मुख्य खजाने के (जिसका सारा काम ई० स० १९२७ से यहां की 'इम्पीरियल बैंक' की शाखा करती है ) अलावा राज्य के भिन्न-भिन्न परगनों में २२ ख़जाने और भी हैं, जहां पर सरकारी रकम जमा होती है और राज्य कर्मचारियों का वेतन आदि और भारत-सरकार के फ़ौजी विभाग से पैन्शन पानेवाले मारवाड़निवासियों की पैन्शन बांटी जाती है। १. ऑडिट-विभाग में खर्च के बिल की जांच हो जाने पर ख़जाना उस बिल के रुपये देता है। २. इसके सुप्रबन्ध के कारण भारत सरकार ने प्रत्येक पेन्शन पानेवाले के पीछे ३ रुपये साल जोधपुर-राज्य को, उसके प्रबन्ध के खर्च के लिये, देना निश्चित किया है । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy